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ढाई सौ स्क्वेयर फीट छोटे कैसे हो गए भूखंड, सहकारिता विभाग खामोश

November 04, 2022


अग्निबाण की खबर के बाद मचा हल्ला, आम सभा में लिए गए निर्णय का स्पष्टीकरण जारी कर विभाग ने झाड़ा भू-घोटाले से पल्ला

इंदौर। भूमाफियाओं के चंगुल में फंसी राजगृही कालोनी में 1500 की बजाय 1250 स्क्वेयर फीट के भूखंड देने के निर्देश सहकारिता विभाग के भोपाल मुख्यालय ने भिजवाए हैं, जिसका खुलासा अग्निबाण ने किया, जिसके चलते हल्ला मचा और कठघरे में खड़े सहकारिता विभाग ने इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण जारी किया। मगर उसमें इस बात का खुलासा नहीं किया कि ढाई सौ स्क्वेयर फीट भूखंड छोटे कैसे और किस आदेश के तहत हो गए और 1500 स्क्वेयर फीट की रजिस्ट्री पर बिना रजिस्ट्री निरस्त किए 1250 स्क्वेयर फीट के भूखंडों की रजिस्ट्री कैसे होगी..? अलबत्ता सहकारिता विभाग ने इस पूरे भू-घोटाले से पल्ला झाड़ते हुए आम सभा में लिए गए निर्णय पर ठिकरा फोड़ दिया।
कलेक्टर मनीष सिंह ने लगातार भूमाफियाओं पर नकेल कसी और कई चर्चित गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें माफियाओं से छुड़वाकर पीडि़तों को बांटी भी। वहीं पिपल्याहाना स्थित जागृति गृह निर्माण की चर्चित कालोनी राजगृही की भी जांच कलेक्टर ने करवाई, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे भी हुए, जिनका भंडाफोड़ अग्निबाण ने लगातार किया। अभी भोपाल से सहकारिता विभाग ने एक आदेश जारी किया, जिसमें इंदौर हाईकोर्ट के आदेश 31 अक्टूबर 2018 और 25 जनवरी 2019 का पालन करने का हवाला दिया गया, जिसमें आयुक्त सहकारिता और पंजीयन में 10 अक्टूबर को भिजवाए पत्र में कहा कि संस्था के पात्र सदस्यों को भूखंड का कब्जा दिलवाने के लिए विधिसंगत निराकरण और कार्रवाई के लिए संयुक्त आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जाती है। अग्निबाण द्वारा खबर प्रकाशन के बाद मचे हल्ले के चलते सहकारिता विभाग ने गोलमोल स्पष्टीकरण जारी किया है, जिसमें बताया गया कि 2006 में तत्कालीन कलेक्टर के आदेश से गठित तीन सदस्यीय कमेटी के जांच प्रतिवेदन के आधार पर संस्था की विशेष आमसभा 13 जुलाई 2014 को बुलाई गई, जिसमें भूखंडों का क्षेत्रफल 1500 की बजाय 1250 स्क्वेयर फीट करने का निर्णय लिया गया।

 

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