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कभी अपनी खूबसूरती की वजह से भोपाल की शान था ‘ताजमहल’, अब दुर्दशा का हुआ शिकार

भोपाल: वैसे तो भोपाल को झीलों का शहर कहा जाता है, लेकिन इस झीलों के शहर ने अपने अंदर बहुत से राज छुपा कर रखे हैं. तो चलिए ऐसे ही एक ऐतिहासिक महल की बात करते है, जो वर्तमान हालात को देखते हुए कुछ समय बाद इतिहास के पन्नो में ही देखने को मिलेगा. अपनी अद्भुत सुंदरता के कारण आगरा का ताजमहल दुनिया के 7 अजूबों में शामिल है. इसे देखने देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी पर्यटक हर साल आते हैं. वहीं, आप यह जानकर चौक जाएंगे कि ताजमहल सिर्फ आगरा में ही नहीं है बल्कि भोपाल में भी है. यही नहीं, भोपाल का ताजमहल मुगल वास्तुकला की एक अद्भुत मिसाल है.

भोपाल स्थित ताजमहल का निर्माण बेगम के निवास के रूप में किया गया था. इसकी लागत उस वक्त 3,00,000 रुपए थी और यह 13 सालों में बनकर तैयार हुआ था. सन 1871 से लेकर 1884 तक यह उस समय के सबसे बड़े महलों में से एक था. इस महल का शुरुआती नाम राजमहल था, लेकिन भोपाल के बर्तानिया अध्यक्ष ने इसकी वास्तुकला से प्रभावित होकर इसका नाम ताजमहल रखने का सुझाया दिया. भोपाल की बेगम ने उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए ताजमहल नाम रख दिया. बेगम ने इस महल का निर्माण पूरे होने पर तीन साल तक चलने वाले जश्न को जश-ए-ताज महल नाम दिया था.


120 कमरे हैं ताजमहल में
प्यार की मिसाल के तौर पर आगरा का ताजमहल काफी प्रसिद्ध है, लेकिन भोपाल में बने ताजमहल का निर्माण किसी मुगल बादशाह ने नहीं बल्कि शाहजहां बेगम ने कराया था. उन्होंने इस भव्य महल का निर्माण खुद के रहने के लिए करवाया था. इस ताजमहल में 120 कमरों के अलावा आठ बड़े हॉल भी हैं, जिसमें शीश महल और सावन-भादो मंडप शामिल है. महल की वास्तुकला ब्रिटिश, फ्रेंच, मुगल, अरबी और हिंदू प्रभावों का एक अनूठा संयोजन है. इस खूबसूरत से महल को काफी बारीकी से बनाया गया था, लेकिन अब महल को बुरी नजर लगती दिख रही हैं. रख रखाव में कमी की वजह से महल अब अपनी पुरानी ऐतिहासिक पहचान और खूबसूरती दोनों ही खोता जा रहा है. हालांकि Archaeological Survey of India के अधिकारियों ने इस मामले पर चुप्‍पी साध रखी है.

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