
इंदौर। एक कहावत थी कि कुंभ के मेले में बिछड़े थे और अब जाकर मिले हैं। इसी तरह मेलों में गुम हुए लोग भी लंबे समय बाद मिलते थे, लेकिन अब यह आंकड़ा कम होने लगा है। इसके पीछे तकनीकी संसाधनों को मानें या लोगों की जागरूकता। इसका एक ताजा उदाहरण अनंत चतुर्दशी का मेला रहा, जहां सालों पहले मेले में सैकड़ों बच्चे गुम हो जाया करते थे और उन्हें परिजनों से मिलाने के लिए काफी मशक्कत करना होती थी, लेकिन इस साल यह आंकड़ा 15 बच्चों के पार भी नहीं जा पाया।
दरअसल नगर सुरक्षा समिति और पुलिस प्रशासन अनंत चतुर्दशी के जुलूस और उसके बाद मिलों में तीन दिन तक रखी झांकियों में भीड़ को नियंत्रित करने और बच्चों या उनके परिजनों के गुम हो जाने को लेकर कल्याण मिल चौराहे पर खोया-पाया केंद्र लगाता है। पिछले दो सालों से तो चल समारोह नहीं निकला, लेकिन उसके पहले के सालों में मेले के दौरान गुम होने वाले बच्चों का आंकड़ा सैकड़ों में पहुंच जाता था। कुछ बच्चों को तो उनके परिजनों से मिलाने के लिए काफी मशक्कत भी करना पड़ती थी। इसी तरह बुजुर्ग या बाहरी लोग अपने परिवार से बिछड़ जाते थे, जो शहर के बाहर से आते थे।
नगर सुरक्षा समिति के सदस्य बाकायदा इसका रिकार्ड रखते थे और उन्हें उनके घर पहुंचाने में मदद करते थे। जिनके परिजन नहीं मिलते थे, उन्हें पुलिस के मार्फत ढूंढा जाता था, लेकिन इस बार यह आंकड़ा 15 के पार भी नहीं जा पाया। समिति के जिला संयोजक रमेश शर्मा और एसपी संयोजक जुगलकिशोर गुर्जर ने बताया कि पुलिस अधिकारियों के साथ 400 सदस्यों ने ड्यूटी की, लेकिन इस बार गुम होने वालों की संख्या न के बराबर ही रही। हालांकि इस बार बारिश के कारण भीड़ भी कम थी और लोगों में जागरूकता भी देखी गई।
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