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ग्लेशियर हादसे में चीन बॉर्डर पर पहुंचाने वाला एकमात्र पुल भी बहा

जोशीमठ। उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर के एक हिस्सा टूट जाने से भारत-चीन सरहद के मलारी आदि इलाकों को मुख्य धारा से जोड़ने वाला सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा निर्मित पक्का सीसी पुल भी इस ऋषि गंगा में उफान की भेंट चढ़ गया है। जिस कारण से मलारी नीति बार्डर में सुरक्षा में लगी सेना एवं भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) मुख्य धारा से कट गई है।


सेना के अतिरिक्त घाटी के छह गांवों की आवाजाही भी इस वाहन पुल के टूटने से ठप हो गई है। पुल के बहने की खबर मिलते ही बीआरओ की टीम ने मेजर परसुराम के नेतृत्व में मौके का निरीक्षण किया। मेजर परशुराम ने बताया कि यह पुल कुछ वर्ष पहले ही बना था और लगभग 17 मीटर लंबा था। बताया कि नदी से अत्यधिक उंचाई पर होने के बावजूद यह पुल बह गया है। कहा कि सेना व ग्रामीणों की आवाजाही को सुचारू करने के लिए जल्द एक वैली पुल यहां पर बनाया जायेगा ताकि वाहन आ जा सकें। जिसका सर्वे एक दो दिन में पूरा कर लिया जायेगा। वहीं इस मुख्य पुल के टूट जाने के बाद सेना के अधिकारियों ने भी रविवार शाम को यहां पर पहुंचकर जायजा लिया।


सूत्रों के अनुसार सेना की इंजिनियरिंग कोर एवं बीआरओ जल्द संयुक्त रूप से यहां पर जल्द से जल्द एक लोहे का वैकल्पिक वैली पुल लांच करेगी ताकि सेना के वाहनों की आवाजाही सुचारू हो सके। इस पुल के बहने से सुकी भलागांव 150 परिवार, फाकती 30 परिवार, लौंग सेगडी 40 परिवार, पैंग मुरंडा 50 परिवार, जुग्जू 15 परिवार, जुवाग्वाड 30 परिवार, तोलमा 35 परिवार, भंग्यूल 12 परिवार अपने ही गांवों में कैद होकर रह गए हैं। ग्रामीणों ने उम्मीद जताई है कि आपदा से क्षतिग्रस्त पुलों को सरकार की ओर से जल्द ही बना दिया जाएगा ताकि आवाजाही दोबारा से शुरू हो सके।

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