
वाशिंगटन. अफगानिस्तान (Afghanistan) की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में पेश एक मसौदा प्रस्ताव पर भारत (India) में मतदान (voting) में हिस्सा नहीं लिया. 193 सदस्य देश वाली इस महासभा में जर्मनी ने अफगानिस्तान की स्थिति पर ये प्रस्ताव रखा था, जिसका 116 देशों ने समर्थन किया तो 2 देशों ने इसका विरोध किया है, जबकि भारत समेत 12 देशों ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. भारत का कहना है कि सामान्य रूप से काम करने के दृष्टिकोण से ऐसे परिणाम मिलने की संभावना नहीं है, जिसकी वैश्विक समुदाय ने अफगान लोगों के लिए कल्पना की है.
उन्होंने कहा, ‘भारत की अफगानिस्तान में तात्कालिक प्राथमिकताओं में मानवीय सहायता प्रदान करना और अफगान लोगों के लिए क्षमता निर्माण पहल को लागू करना शामिल है. हम अफगान लोगों को स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा और खेल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहायता प्रदान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.’
हरीश ने बताया कि अगस्त 2021 के बाद से भारत ने अफगानिस्तान को व्यापक सहायता प्रदान की है. इस दौरान भारत ने लगभग 50,000 मेट्रिक टन गेहूं, 330 मेट्रिक टन से अधिक दवाइयां और टीके, 40,000 लीटर कीटनाशक मेलाथियान और 58.6 मेट्रिक टन अन्य आवश्यक वस्तुएं प्रदान की हैं. ये सहायता लाखों जरूरतमंद अफगानों तक पहुंची है.
इसके अलावा भारत ने संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय (UNODC) के साथ साझेदारी में अफगानिस्तान में नशा मुक्ति कार्यक्रमों, विशेष रूप से महिलाओं पर केंद्रित कार्यक्रमों के लिए 84 मेट्रिक टन सहायता और दवाइयां, साथ ही 32 मेट्रिक टन सामाजिक सहायता सामग्री प्रदान की है. यह साझेदारी 2022 से चल रही है और विशेष रूप से अफगान महिलाओं के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण रही है.
उन्होंने बताया कि भारत अफगान छात्रों के लिए शैक्षिक अवसरों को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण काम कर रहा है. उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा, भारत 2023 से अफगान छात्रों को फेलोशिप भी दे रहा है. हमने लगभग 600 समेत 2,000 अफगान छात्रों को ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स के लिए स्कॉलरशिप दी है, जिनमें 600 लड़कियां और महिलाएं शामिल हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं अफगानिस्तान के लोगों के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंधों और उनकी मानवीय और विकासात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिए हमारी स्थायी प्रतिबद्धता को दोहराना चाहूंगा. जबकि हम सभी संबंधित हितधारकों के साथ निरंतर जुड़ाव के लिए प्रतिबद्ध हैं और एक स्थिर, शांतिपूर्ण और समृद्ध अफगानिस्तान की दिशा में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों का व्यापक रूप से समर्थन करते हैं, भारत ने इस प्रस्ताव पर परहेज करने का फैसला किया है.
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