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अफगानिस्तान में भारत ने फिर बनाई अपनी पकड़, पाकिस्तान के लिए बड़ी टेंशन, जाने वजह ?

नई दिल्‍ली । अफगानिस्तान (Afghanistan) में दोबारा पैर रखने में दुनिया के ज्यादातर देश घबराते हैं। हालांकि भारत (India) ने एक बार फिर तालिबान (Taliban) के कब्जे वाले अफगानिस्तान में पैर जमा लिए हैं। जापान (Japan) ने भी अफगानिस्तान में दोबारा अपना दूतावास (Embassy) शुरू करने से पहले भारत से ही वहां का फीडबैक लिया है। अक्टूबर में जापान ने अपना दूतावास फिर से खोल दिया है। इसके पीछे भारत से मिली जानकारी की अहम भूमिका है। अफगानिस्तान में तालिबान के हमले के बाद भारत ने अपने सभी लोगों को वापस बुला लिया था।

तालिबान के कब्जे के बाद भारत को भी अंदेशा था कि अब पाकिस्तान की पैठ अफगानिस्तान में बढ़ जाएगा और इससे भारत की रणनीतिक साझेदारी पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। पाकिस्तान के तत्कालीन आईएसआई चीफ फैज हमीद 2021 में तालिबानी सरकार बनवाने में मदद करने काबुल पहुंचे थे। लेकिन एक साल बाद ही स्थिति पूरी तरह से उल्टी हो ई। अब अफगान तालिबान और पाकिस्तानी सेना के बीच ही ठन गई है। तालिबान ने दुरांद लाइन को अंतरराष्ट्रीय सीमा मानने से इनकार कर दिया है। दूसरी तरफ पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने एक बार फिर सीजफायर ना मानने का ऐलान कर दिया है। अफगानिस्तान में टीटीपी के 4 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं।


पाकिस्तान को उम्मीद धी कि अफगान तालिबान टीटीपी को पाकिस्तान के साथ पीस डील करने के लिए मना लेगा। लेकिन टीटीपी ने बलूचिस्तान में 30 नवंबर को सेना और सरकारी कर्मचारियों पर हमला करके तीन को मार डाला। टीटीपी ने दावा किया है कि उसने एक साल के अंदर पाकिस्तान में 267 हमले किए हैं। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान में आतंकी हमले दोगुना हो गए हैं।

वहीं पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर पाकिस्तानी सेना के साथ कई बार झड़प होचुकी है। कई वीडियो भी वायरल हुए हैं जिनमें देखा जा सकता है कि तालिबानी लड़ाके दुरांद लाइन से पाकिस्तान के तार हटा रहे हैं। वहीं भारत ने अफगानिस्तान के लोगों की हर कदम पर मदद की है। भारत ने काबुल में अपनी टेक्निकल टीम तैनात की और अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए गार्ड भी भेजे। अफगानिस्तान के कार्यकारी गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने भी कहा है कि अगर भारत के खिलाफ हमला हुआ तो वह कड़ा ऐक्शन लेंगे।

तालिबान की ये बातें पाकिस्तान के जले पर नमक छिड़कने जैसी ही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने हर तरह से अफगानिस्तान में सुरक्षा का जायजा लिया है तभी अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को दोबारा भेजने का फैसला किया है। हालांकि भारत ने अभी अफगानिस्तान के साथ रणनीतक संबंध नहीं बनाए हैं। भारत ने बस अपनी टेक्निकल टीम को भेजा है ताकि अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों में विकास के प्रोजेक्ट चलाए जा सकें।

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