विदेश

नेतन्याहू की सत्ता में वापसी से भारत-इस्राइल रणनीतिक संबंधों में गति आने की उम्मीद

यरुशलम। लिकुड पार्टी के नेता बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को इस्राइल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। बेंजामिन नेतन्याहू के दोबारा इस्राइल के प्रधानमंत्री बनने पर भारत-इस्राइल रणनीतिक संबंधों को और बढ़ावा मिलने की संभावना है। नेतान्याहू भारत और इस्राइल के बीच मजबूत संबंध के पक्षधर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मित्र नेतन्याहू ने दक्षिणपंथी सहयोगियों के साथ संसद में आसान बहुमत हासिल करने के बाद छठी बार सरकार बनाई। इसके साथ ही देश में राजनीतिक अस्थिरता समाप्त होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि 2019 के बाद से यहां पांच आम चुनाव हो चुके हैं।

लिकुड पार्टी के 73 वर्षीय नेता दूसरे इस्राइली प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने जनवरी 2018 में भारत की यात्रा की थी। मोदी ने भी जुलाई 2017 में इस्राइल की ऐतिहासिक यात्रा की थी और वह ऐसा करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच ‘केमिस्ट्री’ गहन चर्चा का विषय बन गई थी। नेतन्याहू इस्राइल के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले नेता हैं। पीएम मोदी ने जब इस्राइल की यात्रा की थी तब नेतन्याहू ‘साए’ की तरह उनके साथ खड़े रहे। इस तरह का सम्मान इस्राइल में आमतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति और पोप के लिए आरक्षित होता है।

दोनों नेताओं की एक तस्वीर ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी थी
दोनों नेताओं की ओल्गा बीच पर एक दूसरे के सामने नंगे पांव खड़े होने के दौरान खींची गई तस्वीर ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी थी। मोदी की इस्राइल यात्रा के दौरान दोनों देशों ने अपने संबंधों का विस्तार करते हुए उसे रणनीतिक साझेदारी में बदल दिया। तब से दोनों देश अपने संबंधों को ज्ञान आधारित साझेदार पर केंद्रित कर रहे हैं, जिसमें ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने सहित नवाचार और अनुसंधान में सहयोग शामिल है।


नेतन्याहू की पार्टी ने चुनाव प्रचार में पीएम मोदी की तस्वीर का किया इस्तेमाल
नेतन्याहू ने पीएम मोदी सहित विश्व नेताओं के साथ अपनी निकटता का इस्तेमाल एक संपत्ति के रूप में चुनाव प्रचार अभियान के दौरान किया, यह दिखाने के लिए कि उनके अलावा अंतरराष्ट्रीय मंच पर कोई और इस्राइल के हितों को सुरक्षित नहीं कर सकता। उनकी लिकुड पार्टी के प्रचार अभियान में जिन तस्वीरों का प्रमुखता से इस्तेमाल किया गया उनमें से एक तस्वीर पीएम मोदी के साथ थी।

इस्राइल के साथ भारत के संबंध स्थिर और मजबूत
इस्राइल के साथ भारत के संबंध स्थिर और मजबूत रहे हैं। मौजूदा नेतृत्व के साथ भी I2U2 (भारत, इस्राइल, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात) के रूप में आगे की प्रगति के स्पष्ट संकेत दिख रहे थे और दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर चर्चाएं चल रही हैं।
गौरतलब है कि नेतन्याहू का जन्म 1949 में तेल अवीव में हुआ था और वह उस समय अमेरिका चले गए जब उनके पिता प्रमुख इतिहासकार और यहूदी कार्यकर्ता बेंजियन को अकादमिक पद की पेशकश की गई। वह 18 साल की उम्र में इस्राइल लौटे और पांच साल तक एलिट कमांडो यूनिट ‘सायरेट मटकल’के कैप्टन के तौर पर सेना में अपनी सेवांए दी।

नेतन्याहू ने वर्ष 1968 में बेरुत हवाई अड्डे पर छापेमारी की कार्रवाई में हिस्सा लिया और वर्ष 1973 में योम किप्पुर युद्ध लड़ा। सैन्य सेवा की अवधि पूरी करने के बाद वह दोबारा अमेरिका वापस लौटे और मैसाच्युसेट्स इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से परास्नातक किया। नेतन्याहू वर्ष 1984 में संयुक्त राष्ट्र में इस्राइल के स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किए गए और वर्ष 1988 में लौटने के बाद संसद के लिए निर्वाचित हुए और उप विदेश मंत्री बनाए गए। वह बाद में लिकुड पार्टी के अध्यक्ष बने और वर्ष 1996 में पहले प्रत्यक्ष निर्वाचित प्रधानमंत्री बने।

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