
नई दिल्ली । भारतीय सेना (Indian Army) ने पाकिस्तान और चीन (Pakistan and China) से लगी सीमाओं पर त्वरित और प्रभावी हमले की क्षमता को बढ़ाने के लिए पांच ‘भैरव’ लाइट कमांडो बटालियनों (Bhairav Commando) की स्थापना शुरू कर दी है। प्रत्येक बटालियन में 250 विशेष रूप से प्रशिक्षित और सुसज्जित सैनिक होंगे। सूत्रों के अनुसार, सेना का लक्ष्य है कि 31 अक्टूबर तक पहली पांच यूनिट तैयार हो जाएं, हालांकि इसमें थोड़ा और समय लग सकता है। सेना की योजना मौजूदा सैनिकों से कुल 23 “फुर्तीली और घातक” भैरव बटालियनों को चरणबद्ध तरीके से तैयार करने की है, ताकि नियमित पैदल सैनिकों और विशेष बलों (पैरा-स्पेशल फोर्सेस) के बीच की खाई को पाटा जा सके।
पांच भैरव यूनिट का गठन
मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पहली पांच भैरव यूनिट में से तीन उधमपुर स्थित उत्तरी कमान के तहत स्थापित की जा रही हैं। इनमें लेह के 14 कोर, श्रीनगर के 15 कोर और नगरोटा के 16 कोर के लिए एक-एक यूनिट शामिल है। चौथी यूनिट पश्चिमी क्षेत्र के रेगिस्तानी इलाके में और पांचवीं यूनिट पूर्वी क्षेत्र के पहाड़ी इलाके में तैयार की जा रही है। 11.5 लाख सैनिकों वाली भारतीय सेना इन भैरव कमांडो को अपनी 415 नियमित पैदल सेना बटालियनों (प्रत्येक में 800 सैनिक) से “बचत और गठन” अवधारणा के तहत चुन रही है, जिसमें नए सैनिकों की भर्ती शामिल नहीं है।
उन्नत हथियारों और तकनीक से लैस
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि नियमित पैदल सेना बटालियनों की तुलना में भैरव यूनिट छोटी और अधिक फुर्तीली होंगी। इन्हें लेटेस्ट हथियारों, उपकरणों और ड्रोनों से लैस किया जाएगा। ये यूनिट स्पीड, लचीलापन और उच्च प्रभाव वाली सामरिक कार्रवाइयों के लिए तैयार होंगी। ये बटालियनों सेना की मौजूदा 10 पैरा-स्पेशल फोर्सेस और पांच पैरा (एयरबोर्न) बटालियनों के अतिरिक्त होंगी, जिनमें प्रत्येक में 620 सैनिक होते हैं, जो कठिन प्रशिक्षण के बाद चुने जाते हैं और विशेष हथियारों व उपकरणों से सुसज्जित होते हैं।
स्पेशल फोर्सेज पर बोझ कम करने की रणनीति
हालांकि विशेष बलों को उच्च जोखिम वाले वातावरण में गुप्त मिशनों, विशेष रूप से दुश्मन की सीमा के पीछे, के लिए तैयार किया जाता है, लेकिन अक्सर उन्हें सामान्य सामरिक कार्रवाइयों में भी तैनात किया जाता है। एक अन्य सूत्र ने कहा, “प्रत्येक भैरव बटालियन में सात-आठ अधिकारी होंगे और ये विशेष बलों को राहत देने के लिए बनाए जा रहे हैं, ताकि विशेष बल अपने अधिक महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।” भैरव कमांडो अपने संबंधित रेजिमेंटल केंद्रों में दो-तीन महीने का विशेष प्रशिक्षण लेंगे और फिर अपने-अपने थिएटर में विशेष बलों की इकाइयों के साथ एक महीने के लिए एडवांस ट्रेनिंग के लिए अटैच किए जाएंगे।
सेना प्रमुख की घोषणा
26 जुलाई को सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ‘रुद्र’ सर्व-हथियार ब्रिगेड, ‘शक्तिबाण’ तोपखाना रेजिमेंट, विशेष ‘दिव्यास्त्र’ निगरानी और लॉइटरिंग म्युनिशन बैटरी, और भैरव बटालियनों की स्थापना की घोषणा की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि सभी पैदल सेना बटालियनों में अब समर्पित ड्रोन प्लाटून होंगे।
त्रि-सेवा संयुक्त सिद्धांत
बुधवार को विशेष बलों के संचालन के लिए एक नया त्रि-सेवा संयुक्त सिद्धांत जारी किया गया। सेना के विशेष बलों के अलावा, वायुसेना में लगभग 1,600 ‘गरुड़’ कमांडो की 27 ‘फ्लाइट्स’ और नौसेना में 1,400 से अधिक मरीन कमांडो (मार्कोस) हैं। इस सिद्धांत के प्रस्तावना में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा, “विशेष बल अपनी फुर्ती, रणनीतिक पहुंच और मिशन-विशिष्ट क्षमताओं के कारण सटीक हमले, गहरे प्रवेश और गैर-पारंपरिक संचालन के माध्यम से असाधारण परिचालन प्रभाव उत्पन्न करने के लिए अद्वितीय रूप से उपयुक्त हैं।”
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