
नई दिल्ली: भारत (India) स्वदेशी रक्षा क्षमता (Indigenous Defense Capability) को मजबूती देने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता वाली कैबिनेट (Cabinet) कमेटी ऑन सिक्योरिटी (Committee on Security) ने अगस्त में 97 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (Light Combat Aircraft) तेजस Mk-1A की खरीद को मंजूरी दी थी. अब रक्षा मंत्रालय 66 हजार करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited) के साथ करने जा रहा है. जैसे ही पहले से ऑर्डर किए गए 83 तेजस विमानों में से शुरुआती दो वायुसेना को सौंपे जाएंगे, नए 97 विमानों का अनुबंध फाइनल कर दिया जाएगा. HAL सूत्रों के मुताबिक यह करार अक्टूबर 2025 में साइन होने की पूरी संभावना है.
LCA कार्यक्रम के लिए अब तक सबसे बड़ी चुनौती अमेरिकी कंपनी GE एयरोस्पेस से इंजन सप्लाई में देरी रही थी. लेकिन अब स्थिति बेहतर हो रही है. GE ने अब तक 3 इंजन भारत को सौंपे हैं, 7 इंजन दिसंबर तक और मिल जाएंगे. इसके अलावा अगले साल 20 और आने वाले हैं. HAL सूत्रों के मुताबिक, अब सप्लाई चेन दिक्कतें दूर हो रही हैं और विमान तय समय पर तैयार होंगे.
तेजस Mk-1A के साथ ASRAAM मिसाइल का परीक्षण पूर्वी सेक्टर में शुरू हो चुका है. इसके बाद अस्त्र बियोंड विज़ुअल रेंज मिसाइल का फायरिंग ट्रायल होगा. मिसाइल दागना विमान की संपूर्ण क्षमता का प्रमाण है, और यह सबसे कठिन परीक्षणों में से एक है. जैसे ही ये तमाम ट्रायल्स होंगे, तेजस Mk-1A वायुसेना के सामने अपनी पूरी क्षमता पेश कर सकेगा.
रक्षा सूत्रों का कहना है कि जवाबदेही तय करने के लिए अनुबंध तभी साइन किया जाएगा जब HAL पहले विमानों की डिलीवरी शुरू करेगा. अक्टूबर में शुरुआती खेप मिलने के बाद नए करार पर हस्ताक्षर होंगे. HAL की उत्पादन क्षमता सालाना 24 विमानों की है, और कंपनी ने बताया है कि 10 तेजस Mk-1A पहले ही तैयार हैं.
नए अनुबंध के तहत मिलने वाले 29 ट्रेनर जेट्स पहले से अधिक एडवांस होंगे. इनमें उत्तम AESA रडार और आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम लगाए जाएंगे. यह सौदा भारतीय वायुसेना को न सिर्फ संख्या के लिहाज से मजबूती देगा, बल्कि पुराने मिग-21 जैसे विमानों की जगह आधुनिक, स्वदेशी तकनीक से लैस विमानों को शामिल करने में मदद करेगा.
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