
लंदन। भारत (India) में एक सप्ताह से चल रहे इंडिगो संकट (Indigo crisis) में अब तक एयरलाइन 4500 से ऊपर फ्लाइट कैंसिल कर चुकी है। देश भर में एयरपोर्ट पर आफत झेल रहे यात्रियों की मुसीबतों का रत्ती भर मोल नहीं है। इंडिगो द्वारा देश पर जान-बूझकर थोपे गए इस एयर ट्रेवल क्राइसिस ने यूरोपीय एयरलाइन रायनएयर (European airline Ryanair) की याद दिलाई है, जिसे 2017 में लगभग 2000 उड़ानें रद्द करने के कारण करीब 4 लाख यात्रियों को 188 करोड़ रुपये का मुआवजा देना पड़ा था। यूरोप का हवाई यात्री अधिकार कानून EU261 फ्लाइट की देरी या कैंसिल होने की स्थिति में यात्रियों के लिए मुआवजे का प्रावधान करता है।
संयोग से रायनएयर और इंडिगो सस्ती विमान सेवा देने वाली कंपनियां हैं और दोनों के संकट का कारण एक समान है। पायलट की कमी, रोस्टर की समस्या और अंत में बड़े पैमाने पर उड़ानों का रद्द होना। पायलटों की कमी के कारण रायनएयर का संकट पैदा हुआ और पायलट की कमी के कारण ही इंडिगो ने भी हाहाकार मचा रखा है। देश के हवाई बाजार पर 63 फीसदी कब्जा रखने वाली इंडिगो को उसकी लापरवाही के लिए सरकार ने जो नोटिस जारी किया था, उसका जवाब देने की समय सीमा आज शाम 6 बजे खत्म हो रही है। संसद में नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने आज कहा है कि सरकार चाहती है कि एविएशन क्षेत्र में और कंपनियां आएं।
क्या था रायनएयर फ्लाइट कैंसिलेशन संकट
आयरलैंड की रायनएयर यूरोप की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी है। आयरलैंड के आधे से ज्यादा एविएशन मार्केट पर कब्जा रखने वाली रायनएयर ने 2017 के सिंतबर-अक्टूबर में पायलट रोस्टर की समस्या को लेकर 2000 फ्लाइट कैंसिल कर दिए। लगभग 4 लाख पैसेंजर्स प्रभावित हुए। इसे यूरोपीय कानून EU 261 के तहत प्रभावित यात्रियों को 25 मिलियन यूरो का मुआवजा देना पड़ा। उस समय के भाव से एक यूरो भारत में लगभग 75 रुपये था। भारतीय रुपये में देखें तो उस समय कंपनी को 188 करोड़ का मुआवजा पैसेंजर्स को देना पड़ा।
क्या है यूरोप का EU 261 कानून
यूरोपीय यूनियन के संसद द्वारा 2004 में पारित हवाई यात्री अधिकार कानून 2005 में लागू हो गया था। इसे आम लोग EU 261 कानून के नाम से बुलाते हैं। इस कानून के तहत यात्रियों को विमान में देरी या कैंसिल होने पर फ्लाइट की दूरी के आधार पर 250 यूरो से 600 यूरो का मुआवजा मिलता है। यूरोप में इस कानून का भरपूर इस्तेमाल होता है। कोई कंपनी मुआवजा देने में आनाकानी करे तो सरकार डंडा भी चलाती है। इस कानून के तहत यात्री भोजन, पेयजल और होटल में रहने का खर्च भी मांग सकता है।
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