
इंदौर। इंदौर (Indore) की सॉफ्टवेयर कंपनी (software company) के जापानी क्लाइंट (Japanese Client) से क्रिप्टो करेंसी ऐप (Crypto Currency App) के जरिए 6 करोड़ 70 लाख रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। यह फर्जीवाड़ा कंपनी के ही सॉफ्टवेयर डेवलपर ने किया है। उसने पत्नी और मां के वॉलेट में रुपए ट्रांसफर कर दिए। वह अपनी संपत्ति बेचकर विदेश भागने ही वाला था, कि उसके पहले ही सायबर पुलिस ने मथुरा से गिरफ्तार कर लिया।
जानकारी के मुताबिक आरोपी अपने सॉफ्टवेयर कंपनी से जापान के क्लाइंट का क्रिप्टो ई-वॉलेट बनाया था। ई-वॉलेट में रिवार्ड के लिए कई फेक आईडी बनाकर फेक इंवेसमेन्टन क्रेडिट किया था। इस फेक इंवेसमेन्टन स आरोपी को रिवार्ड, बोनस मिला था।
शिकायत पर की गई जांच
एसपी जितेंद्र सिंह के मुताबिक 15 जुलाई 2021 को नो बार्डर्स टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के मालिक पीयूष सिंह ने विजयनगर थाने में शिकायत दर्ज की थी। शिकायत में कहा गया कि किप्ट्रो बेस्ड प्रोडक्ट के जपानी क्लाइंट रियोत केशी कुबो के क्रिप्टो करेंसी ऐप से क्रिप्टो करेंसी (BTC, ETH ) धोखाधड़ी की गई है।
पत्नी और मां के नाम से बनाए फर्जी वॉलेट
जब सायबर सेल ने इसकी जांच शुरू की तो शुरुआत में पता चला कि जापान के क्लाइंट के लिए पीयूष की कंपनी ने 3 प्रोडक्ट्स बनाकर दिए थे। इन प्रोडक्ट्स का उपयोग करके कोई भी यूजर अपना डिजिटल वॉलेट (अकाउंट) बना सकता है। इस डिजिटल वॉलेट में क्रिप्टो स्टोर कर सकता है और उन्हें निवेश कर सकता है। लेकिन पीयूष की कंपनी में ही सॉफ्टवेयर डेवलपर संदीप गोस्वामी ने एक्सेस का गलत उपयोग किया। उसने जापानी क्लाइंट के प्रोडक्ट में फर्जी यूजर बना दिए। उनमें यूपीआई के द्वारा क्रिप्टों का फर्जी इवेस्टमेंट दिखाया, जिससे आरोपी को भी डेली रिवार्ड मिलने लगा। इसके बाद पुलिस ने संदीप को मुख्य आरोपी बनाया।
मथुरा पहुंची पुलिस
संदीप गोस्वामी ने इसी बीच कंपनी ने छोड़ दी थी। आरोपी के घर जब सागर में सायबर की टीम पहुंची तो यहां कोई नहीं मिला। पुलिस को आरोपी के मथुरा वृंदावन में होने की सूचना मिली। वह अपनी संपत्ति बेचकर विदेश जाने की तैयारी में था, उसने इसका सौदा भी कर लिया था, लेकिन उसके पहले सायबर पुलिस ने उसे पकड़ लिया।
जानिए क्रिप्टो करेंसी क्या है?
दरअसल क्रिप्टो करेंसी किसी मुद्रा का डिजिटल रूप है। यह किसी सिक्के या नोट की तरह भौतिक रूप में जेब में नहीं होता है। यह पूरी तरह से ऑनलाइन होती है। व्यापार के रूप में बिना किसी नियम के इसके जरिए व्यापार होता है। इसे कोई सरकार या विनियामक अथॉरिटी जारी नहीं करती।
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