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इन पांच कारणों से मिली इंदौर को स्वच्छता में जीत

October 01, 2022

इंदौर। इंदौर (Indore) ने लगातार छठी बार स्वच्छता रैंकिंग में नंबर एक (Number one in cleanliness ranking for the sixth time) स्थान हासिल किया है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव (Mayor Pushyamitra Bhargava), कमिश्नर पवन कुमार शर्मा, 25 सफाईकर्मियों की टीम शनिवार सुबह दिल्ली के लिए रवाना हुई थी। छठी बार पहले स्थान पर आने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी शहर की तारीफ की हैष कहा है कि इंदौर से सबको सीखना चाहिए।

अवार्ड सेरेमनी में पहली बार नगर निगम के सीएसआई, दरोगा व सफाई मित्र भी शामिल हो रहे हैं। 25 लोगों का दल सुबह फ्लाइट से रवाना हुआ। इससे पहले सफाई मित्र पुरस्कार लेने जा चुके हैं। इस बार सीएसआई और दरोगा भी शामिल हैं, जिनकी सख्त निगरानी और समर्पण से यह मुकाम हासिल हुआ। शहर में 14 जगह अवार्ड सेरेमनी का लाइव टेलीकास्ट होगा। राजबाड़ा, पलासिया, मालवा मिल चौराहा, मेघदूत, खजराना मंदिर, रणजीत हनुमान, बड़ा गणपति, भंवरकुआं, रीगल, मरीमाता, रेडिसन चौराहा, परदेशीपुरा, 56 दुकान, निगम प्रांगण में एलईडी लगाई है। गरबा पंडालों में शनिवार को सफाई मित्रों के सम्मान में स्वच्छता गान पर गरबा होगा।


इन पांच कारणों से मिली इंदौर को जीत

  • डोर टू डोर कलेक्शन: शहर में कचरा पेटियां नहीं हैं। 1500 वाहनों के नेटवर्क के कारण कचरा सीधे घरों से निकल कर कचरा ट्रांसफर स्टेशनों तक पहुंचता है। दूसरे शहर शत-प्रतिशत यह काम अभी तक नहीं कर पाए है। कई शहरों में कूड़े के ढेर दिखाई देते हैं।
  • वेस्ट सेग्रिगेशन: घरों से ही गाडि़यों तक पहुंचने वाला कचरा अलग-अलग हो जाता है। गीले, सूखे के अलावा प्लास्टिक, सेनेटरी वेस्ट, इलेक्ट्रिक और घरेलू हानिकारक कचरे को अलग-अलग बॉक्स में डाला जाता है। दूसरे शहरों में अभी भी मिक्स कचरा आ रहा है।
  • सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट: नदी व नालों के किनारे तीन साल में सात सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बने। सीवरेज के ट्रीट हुए पानी के उपयोग के लिए टंकियों का निर्माण करवाया। सवा सौ गार्डन्स में ट्रीटेड पानी पाइप से पहुंचाया जाता है।
  • कचरे से कमाई: नगर निगम को सूखे कचरे के पृथकीकरण प्लांट से प्रतिवर्ष 1.53 करोड़ रुपये, गीले कचरे से बायो सीएनजी के प्लांट से प्रतिवर्ष 2.53 करोड़ रुपये की कमाई हो रही है। बायो सीएनजी प्लांट से बाजार मूल्य से पांच रुपये कम कीमत पर मिलने वाली सीएनजी गैस से सालभर में डेढ़ से दो करोड़ रुपये की बचत हो रही है। गाद से भी खाद बनाने का काम हो रहा है।
  • थ्री आर मॉडल: निगम ने रिसायकल, रियूज व रिड्यूज माॅडल को शहर में लागू किया। एक हजार से ज्यादा बेकलेन में सीमेंटीकरण, सफाई कर उनमें पेटिंग बनाई। बेकार की चीजों से कलाकृतियां बनाई गई। शहर में थ्री आर माॅडल पर गार्डन बनाए गए। रहवासियों को गीले कचरे से खाद बनाने के लिए प्रेरित किया।

हर बार स्वच्छता में नवाचार

  • 10 से ज्यादा चौराहों पर फाउंटेन लगाए है, जो हवा में उड़ने वाले धूल कण को सोखते हैं। चौराहों के लेफ्ट-टर्न चौडीकरण, सेंट्रल डिवाइडर बनाए गए। इन पर पौधारोपण किया गया है।
  • प्लास्टिक का उपयोग कम करने के लिए लोगों को जागरुक किया जा रहा है। कपड़े की थैलियों के उपयोग पर जोर दिया गया।
  • पहले सूखे कचरे में 800 किलो प्रतिदिन सिंगल यूज प्लास्टिक आता था। अब सिर्फ 200 से 300 किलो ट्रेंचिंग ग्राउंड पहुंच रहा है।
  • वायु प्रदूषण रोकने के लिए सिग्नल बंद होने पर वाहनों के इंजन बंद कराने का अभियान चलाया गया। मशीनों से सड़कों की सफाई और धुलाई होती है, ताकि धूल के कण सड़कों पर न रहे।

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