
इंदौर। साइबर अपराधों में इंदौर के बैक खातों का उपयोग लगातार सामने आ रहा है। दो दिन पहले फिर एक छात्र के साथ हुई दस लाख की ठगी में क्राइम ब्रांच ने इंदौर के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिसने ठगों को 15 हजार में बैक खाता बेचा था। अब तक दो दर्जन से अधिक मामलों में इंदौर के बैक खातों के उपयोग की बात सामने आ चुकी है। केंद्र सरकार ने देश में साइबर अपराध के 35 हॉट स्पॉट को चिन्हित किया है। इसमें इंदौर भी शामिल है। इसके पीछे की प्रमुख वजह यह है कि इंदौर में बड़ी संख्या में साइबर ठगों को बैंक खाते, सिमकार्ड और एटीएम कार्ड उपलब्ध करवाने वाले गिरोह सक्रिय हैं, जो साइबर ठगों को इंदौर के बैंक खाते बेचते हैं। कई बार तो लोग लालच में खाता बेच देते हैं तो कई बार ऐसे गिरोह छोटे-मोटे लोगों को कुछ रुपए देकर उनकी सिम, बैंक खाता और एटीएम कार्ड ले लेते हैं और उसको ठगों को बेच देते हैं। जब मामला पकड़ में आता है तो यही खाताधारी पकड़े जाते हैं।
ठगी के नए-नए तरीके
पुलिस सूत्रों के अनुसार इंदौर में अब तक दो दर्जन से अधिक मामलों में देखने में आया है कि ठगी के तरीके जैसे डिजिटल अरेस्ट, शेयर ट्रेनिंग, ऑनलाइन सट्टा जैसे मामलों में इंदौर के बैंक खाते सामने आ चुके हैं। अब तो दूसरे शहरों की पुलिस भी यहां आए दिनों आती रहती है और खाताधारकों को पकडक़र ले जाती है। यह गोरखधंधा ऑनलाइन भी हो रहा है। इंस्टाग्राम पर बकायदा खाते खरीदे और बेचे जा रहे हैं। एटीएम, बैंक खाता और सिम को ये लोग किट कहते हैं। एक किट 15 से 20 हजार में बिक रही है। एडवाइजरी में भी फर्जी बैंक खातों का उपयोग हो रहा है।
फर्जी एडवाइजरी कंपनियां बढ़ रही
इंदौर तो फर्जी एडवाइजरी का गढ़ बना हुआ है। अब तक इंदौर पुलिस और अन्य एजेंसियां शहर में 100 से अधिक फर्जी एडवाइजरी कंपनियों को पकड़ चुकी है। अब तो इंदौर की फर्जी एडवाइजरी कंपनिया बाहरी लोगों को शिकार बना रही हैं। कई मामले ऐसे भी पकड़े जा चुके हैं। इसके चलते इंदौर देश के 35 हॉट स्पॉट में पहुचा है।
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