
नई दिल्ली। रेपो दर में मई से अब तक चार बार वृद्धि से लोगों पर ईएमआई (मासिक किस्त) का बोझ भले ही 2% बढ़ा है, लेकिन बैंक में पैसे जमा करने वालों को इसका लाभ भी मिल रहा है। आलम यह है कि सरकार की छोटी बचत योजनाओं के मुकाबले बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ज्यादा ब्याज दे रहे हैं।
कुछ बैंक तो विशेष जमा योजनाओं पर 7.75 फीसदी तक ब्याज दे रहे हैं। छोटी बचत योजनाओं में सुकन्या समृद्धि पर सबसे ज्यादा 7.6% ब्याज मिलता है। इन योजनाओं में लॉकइन अवधि लंबी होती है। एफडी में छोटी से लंबी अवधि तक के लिए पैसे जमा कर सकते हैं। बैंक जिन एफडी पर ज्यादा ब्याज दे रहे हैं, वह सीमित समय के लिए है।
तरलता में होगा सुधार
बैंकरों का मानना है कि एफडी पर ज्यादा ब्याज देने से तरलता में सुधार होगा। अगर इसी तरह से बैंकों की उधारी में वृद्धि होती रही तो तीसरी तिमाही में वे सामान्य एफडी पर भी ब्याज बढ़ाएंगे।
सरकारी व निजी बैंकों ने बढ़ाई है दर
आंकड़े बताते हैं कि सितंबर, 2021 में सरकारी बैंक एफडी पर औसत 5.14% ब्याज दे रहे थे। सितंबर, 2022 में यह दर बढ़कर 5.41% पहुंच गई। इस दौरान निजी क्षेत्र के बैंकों ने एफडी पर ब्याज दर को 5.27% से बढ़ाकर 5.48% कर दिया। कई बैंक सामान्य एफडी पर भी 6 फीसदी से ज्यादा ब्याज दे रहे हैं।
एफडी के प्रति आकर्षित होंगे जमाकर्ता
चालू वित्त वर्ष में बैंकों के कर्ज में भारी तेजी आई है। सितंबर में कर्ज की वृद्धि दर 16% से ऊपर रही, जबकि जमा की वृद्धि दर 10%। ऐसे में बैंक जमाकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए ज्यादा ब्याज दे रहे हैं। चालू वित्त वर्ष में बैंकों की उधारी 9.7 लाख करोड़ रुपये बढ़ी है, जबकि जमा केवल 8 लाख करोड़ रुपये।
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