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    देश में नए एयरपोट्र्स बनाना होगा आसान, नहीं लेना होगा इन्वायर्नमेंटल क्लीयरेंस

  • April 17, 2022

    मध्यप्रदेश में भी छोटे शहरों में आसानी से बन सकेंगे नए एयरपोट्र्स
    वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 20 हजार वर्गमीटर तक के टर्मिनल भवन के लिए इन्वायर्नमेंटल क्लीयरेंस की शर्त को हटाया
    इंदौर।  देश में अब नए एयरपोट्र्स (airports) बनाना और ज्यादा आसान होगा। शासन (governance) द्वारा उड़ान योजना (governance, flight plan)  के तहत छोटे शहरों में जो छोटे एयरपोट्र्स बनाए जा रहे हैं उनके लिए भी एयरपोर्ट अथॉरिटी (airport authority) को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय (ministry of environment) से इन्वायर्नमेंटल क्लीयरेंस (पर्यावरणीय स्वीकृति) लेना पड़ता था, लेकिन अब मंत्रालय ने छोटे एयरपोट्र्स (airports)  को इस नियम से छूट दे दी है। इससे मध्यप्रदेश में भी कई छोटे शहरों में एयरपोर्ट बनाए जाना आसान हो जाएगा।
    मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी नोटिफिकेशन (notification) में कहा गया है कि किसी भी एयरपोर्ट (airport) पर अगर भूमि का विस्तार किए बिना नया टर्मिनल भवन बनाया जाता है और उसका क्षेत्रफल 20 हजार वर्गमीटर से कम होता है तो उसे इन्वायर्नमेंटल क्लीयरेंस की जरूरत नहीं होगी। 20 हजार वर्गमीटर से ज्यादा साइज होने पर ही अथॉरिटी को मंजूरी के लिए पर्यावरण मंत्रालय को आवेदन करना होगा। आदेश में कहा गया है कि यह छूट उन एयरपोर्ट को मिलेगी, जो इस सीमा के अंदर नए टर्मिनल भवन बनाते हैं या विस्तार करते हैं, लेकिन जो एयरपोर्ट अपनी भूमि का विस्तार भी करते हैं, उन्हें छूट का लाभ नहीं मिलेगा।


    उज्जैन, खंडवा, महेश्वर में भी आसान
    विशेषज्ञों का कहना है कि देश की नई उड़ान नीति में कई छोटे शहरों में नए एयरपोर्ट (airport) बनाए जा रहे हैं। इन्हें बनाना आसान हो इसके लिए सभी संबंधित विभाग अपने नियमों में छूट दे रहे हैं। उसी के तहत पर्यावरण मंत्रालय ने यह छूट जारी की है। इससे देश में बनने वाले छोटे एयरपोट्र्स के लिए नियम सरल हो जाएंगे और इन्हें बनाना ज्यादा आसान हो जाएगा। इससे मध्यप्रदेश के छोटे शहरों जैसे उज्जैन, महेश्वर, ओंकारेश्वर, खंडवा, पचमढ़ी जैसे शहरों में भी छोटे एयरपोर्ट बनाना आसान होगा। कुछ समय पहले ही इंदौर आए सिविल एविएशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि वे नई नीति में छोटे शहरों से हेलिकॉप्टर और छोटे यात्री विमान चलाने की योजना बना रहे हैं। नए नियमों से नई नीति में छोटे शहरों को काफी लाभ मिल सकेगा।


    इंदौर को करना पड़ा था लंबा इंतजार
    इंदौर में बनाए गए नए टर्मिनल का साइज 18 हजार वर्गमीटर है। यह 2014 में शुरू हुआ था, लेकिन बनने से पहले ही इसके लिए इन्वायर्नमेंटल क्लीयरेंस के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा था। वहीं इंदौर में जो नया टर्मिनल भवन बनाया जाना प्रस्तावित है, वह 48 हजार वर्गमीटर क्षेत्र में है, इसलिए इसे नियमों का लाभ नहीं मिलेगा। अधिकारियों का कहना है कि यह नियम इसलिए बनाए जाते हैं, ताकि मंत्रालय द्वारा निर्माण के वक्त और बाद में भी पर्यावरण पर पडऩे वाले विपरीत प्रभावों को देखते हुए पहले से उपाय किए जा सकें। इसमें निर्माण और बाद में संचालन से होने वाले प्रदूषण और उसके उपाय, पेड़ों की कटाई, हरियाली का ख्याल, दूषित पानी का उपचार, बिजली के प्राकृतिक साधन जैसी बातों को देखा जाता है।

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