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जोशीमठ संकट के बाद अब बद्रीनाथ हाईवे पर भी बढ़ी मुश्किलें, आईं दरारें, एक्सपर्ट टीम ने किया दौरा

चमोली (Chamoli) । उत्तराखंड (Uttarakhand) के शहर जोशीमठ (Joshimath) का संकट बद्रीनाथ हाईवे (Badrinath Highway) तक पहुंच गया है. चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने कहा कि बद्रीनाथ हाईवे पर दरारों की सूचना मिली है. इसे लेकर मौके पर एक्सपर्ट की टीम मौके पर भेजी गई थी. टीम ने जांच कर दरारों की सूचना दी है. इससे पहले सोमवार को आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने जोशीमठ में किए जा रहे राहत कार्यों के बारे में सूचना दी थी.

जानकारी के मुताबिक चमोली के डीएम हिमांशु खुराना ने कहा कि केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) की एक टीम को निरीक्षण के लिए मौके पर भेजा गया था. उन्होंने बताया कि टीम ने निरीक्षण करने पर बताया कि यहां दरारें देखी गई हैं. उन्होंने कहा कि इन दरारों के पीछे हाईवे के किनारे बसाहट हो सकती है.


डीएम ने बताया कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 24 और 25 जनवरी को भारी बारिश/बर्फबारी की भविष्यवाणी की है. इसे देखते हुए नोडल अधिकारियों को राहत शिविरों में कंबल, हीटर और जनरेटर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं.

वहीं, लोक निर्माण विभाग (PWD) और सीमा सड़क संगठन (BRO) को अलर्ट पर रहने और बर्फबारी के कारण उत्पन्न अवरोधों को दूर करने के लिए कहा गया है.

दरअसल, जोशीमठ के संकट को देखते हुए स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. क्योंकि कई घरों, होटलों और अन्य सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में भूस्खलन के कारण दरारें आ गईं थीं. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जोशीमठ में स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ टेलीफोन पर बातचीत के दौरान राहत और बचाव के लिए राज्य प्रशासन को हर संभव मदद का आश्वासन दिया था.

वहीं आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में 261 प्रभावित परिवारों को अंतरिम राहत के रूप में 3.45 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है. साथ ही कहा कि जोशीमठ के पास सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की द्वारा वन बीएचके, टू बीएचके और थ्री बीएचके मॉडल प्रोटोटाइप प्रीफैब्रिकेटेड शेल्टर का निर्माण कार्य शुरू हो गया है.

चमोली के ढाक गांव में वन बीएचके, टू बीएचके और थ्री बीएचके के मॉडल प्रोटोटाइप प्रीफैब्रिकेटेड शेल्टर के निर्माण के लिए भूमि का चयन करने के बाद, जमीन के समतलीकरण, बिजली, पानी, सीवर आदि की व्यवस्था के लिए काम शुरू हो गया है.

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