
नई दिल्ली । देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai) की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल (West Bengal) में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के वर्गीकरण से संबंधित मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत 2024 में हाई कोर्ट के दिए आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग (सेवाओं और पदों में रिक्तियों का आरक्षण) अधिनियम, 2012 के तहत ओबीसी के रूप में दिए गए 37 वर्गों के अलावा अप्रैल, 2010 और सितंबर, 2010 के बीच दिए गए 77 आरक्षण वर्गों को रद्द कर दिया था।
CJI बी आर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस विपुल एम पंचोली की पीठ ने निर्देश दिया कि पश्चिम बंगाल में कई जातियों का ओबीसी दर्जा रद्द करने से संबंधित मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट में आगे कोई कार्यवाही नहीं होगी। राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों पर पीठ ने गौर किया कि हाई कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 18 नवंबर की तारीख तय की है। इस पर CJI गवई ने कहा, ‘‘जब मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में है तो हाई कोर्ट इस मामले में कैसे आगे बढ़ सकता है।’’
CJI ने हाई कोर्ट के रवैए पर जताई नाराजगी
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट करते हैं कि जब तक अगला आदेश पारित नहीं हो जाता, कलकत्ता उच्च न्यायालय में आगे कोई कार्यवाही नहीं होगी।’’ न्यायालय ने कहा कि याचिकाओं पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी। इस दौरान CJI ने हाई कोर्ट के रवैए पर नाराजगी भी जाहिर की और कहा कि जब शीर्ष अदालत में यह मामला लंबित है तो हाई कोर्ट कैसे सुनवाई कर सकता है? उन्होंने टिप्पणी की, “जब मामला शीर्ष न्यायालय के संज्ञान में है, जब रिट याचिका पर पहले से ही स्थगन आदेश है, तो उच्च न्यायालय को इस पर कार्यवाही क्यों करनी चाहिए?”
सिब्बल ने CJI से क्या कहा?
दरअसल, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को सूचित किया था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहने के बावजूद उच्च न्यायालय में ओबीसी वर्गीकरण के मुद्दे पर कार्यवाही जारी है। बता दें कि राज्य ने एक नई ओबीसी सूची प्रकाशित की थी, जिस पर उच्च न्यायालय ने इस वर्ष जून में रोक लगा दी थी। जुलाई में, राज्य द्वारा दायर एक अन्य विशेष अनुमति याचिका में, सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के दूसरे निर्णय पर रोक लगा दी थी।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved