
बेंगलुरु । कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Chief Minister Siddaramaiah) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को खत लिखकर विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) (वीबी-जी रामजी) अधिनियम के कार्यान्वयन को निलंबित करने की अपील की है। सिद्धारमैया ने कहा है कि नया कानून रोजगार गारंटी ढांचे को मौलिक रूप से कमजोर करने के साथ ही सहकारी संघवाद को अशक्त बनाने का काम करेगा।
मंगलवार को मोदी को लिखे एक विस्तृत पत्र में, मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को ‘निरस्त’ किए जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने पत्र में कहा कि नया कानून मांग-आधारित, अधिकार-आधारित व्यवस्था को खत्म करने का जोखिम पैदा करता है, जबकि इसी व्यवस्था ने ग्रामीण परिवारों के लिए आजीविका संबंधी सुरक्षा जाल के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सिद्धारमैया ने मनरेगा के स्थान पर नए कानून को लेकर लिखा कि यह बदलाव रोजगार गारंटी कानून के मूल उद्देश्य को ही विफल कर सकता है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यह सही है कि नए अधिनियम में गारंटी की अवधि 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन कर दी गई है, लेकिन इसमें उस वादे को पूरा करने के लिए सुनिश्चित योजना या केंद्रीय निधि का प्रावधान नहीं है। सिद्धरमैया ने यह भी कहा कि ‘वीबी-जी रामजी’ अधिनियम के तहत केंद्र सरकार की वित्तीय जिम्मेदारी हर राज्य के अधिसूचित क्षेत्रों के लिए एक ‘मानक आवंटन’ तक सीमित है, जिसमें केंद्र सरकार अधिकतर राज्यों में केवल 60 प्रतिशत का योगदान देगी। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘परिणामस्वरूप 125 दिन की तथाकथित कानूनी गारंटी पूर्ण नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि यह केंद्र द्वारा निर्धारित वित्तपोषण सीमा से बाधित है, जिसके कारण वास्तविक मांग के बावजूद कई ग्राम पंचायतों को धन नहीं मिल पाएगा।
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