
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Congress President Mallikarjun Kharge) ने गुरुवार को मोदी सरकार (Modi government) पर नमामि गंगे परियोजना (Namami Gange Project) को लेकर कड़ा प्रहार किया। कहा कि इस परियोजना के महत्वपूर्ण लक्ष्य अब तक पूरे नहीं हुए हैं और कुल बजट की आधी रकम भी अभी तक खर्च नहीं की गई है। यूपी से बिहार तक गंगा में गंदा पानी बह रहा है। खरगे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) ने गंगा सफाई की अपनी गारंटी भुला दी है।
खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, “मोदी जी ने कहा था कि ‘माँ गंगा ने उन्हें बुलाया’ है, लेकिन सच्चाई यह है कि उन्होंने गंगा सफाई की अपनी गारंटी ही भुला दी है!” उन्होंने आरोप लगाया कि यह योजना देरी और अक्षम कार्यप्रणाली का शिकार हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष ने संसद में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2014 में इस परियोजना की शुरुआत के 11 साल बाद भी निर्धारित ₹42500 करोड़ के बजट में से सिर्फ ₹19271 करोड़ ही खर्च किए गए हैं, यानी अब भी 55% धनराशि नहीं लगाई गई है।
उन्होंने नवंबर 2024 के राज्यसभा में दिए गए जवाब का हवाला देते हुए बताया कि 38% परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं। जबकि कुल बजट का 82% हिस्सा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था, उनमें से 39% अब भी अधूरे हैं। जो पूरे हो चुके हैं, वे भी पूरी तरह से चालू नहीं हैं।
यूपी से बिहार तक गंगा में बह रहा गंदा पानी
खरगे ने उत्तर प्रदेश की स्थिति पर विशेष हवाला देते हुए कहा कि 75% नालों को STP से जोड़ने की योजना अब भी अधूरी है, जिसके कारण हर दिन 3,513.16 MLD गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है। इसके अलावा, 97% चालू STP मानकों के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं। बिहार में भी स्थिति चिंताजनक है, जहां 46% STP पूरी तरह से बंद पड़े हैं, और जो चल रहे हैं, वे भी जल प्रदूषण नियंत्रण के निर्धारित मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में 40 STP काम नहीं कर रहे हैं, जबकि 95% STP एनजीटी के नियमों को पूरा नहीं करते।
वाराणसी में लगी फटकार
खरगे ने कहा कि नवंबर 2024 में एनजीटी ने वाराणसी में गंगा की सफाई को लेकर प्रशासन पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने दावा किया कि एनजीटी ने सुझाव दिया था कि गंगा के किनारे एक बोर्ड लगाया जाए, जिस पर लिखा हो कि ‘इस शहर में गंगा जल नहाने लायक भी नहीं है’। खरगे ने फरवरी 2025 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि गंगा जल में फीकल कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया (मानव और पशुओं के मल में पाया जाने वाला बैक्टीरिया) का स्तर सुरक्षित सीमा (2,500 यूनिट/100 mL) से कई गुना अधिक पाया गया।
गंगा ग्राम योजना भी अधूरी
खरगे ने यह भी कहा कि गंगा में ठोस कचरे की मात्रा बढ़ने से पानी की पारदर्शिता केवल 5% रह गई है, जो प्रदूषण की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। प्लास्टिक प्रदूषण में मई-जून 2024 के बीच 25% की वृद्धि दर्ज की गई। खरगे ने सरकार की ‘गंगा ग्राम’ परियोजना पर भी सवाल उठाए। यह योजना गंगा किनारे बसे गांवों के विकास के लिए लाई गई थी, लेकिन अब तक इसकी मुख्य उपलब्धि केवल शौचालय निर्माण ही है। गंगा किनारे 1,34,106 हेक्टेयर भूमि पर वनीकरण के लिए निर्धारित 2,294 करोड़ के बजट में से 85% अब भी खर्च नहीं हुआ। एक RTI रिपोर्ट के मुताबिक, 78% वनीकरण कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है।
CM योगी का पलटवार – ‘गंगा जल पीने योग्य’
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि “गंगा, सनातन धर्म और महाकुंभ को बदनाम करने के लिए झूठे दावे किए जा रहे हैं।” योगी आदित्यनाथ ने कहा, “प्रयागराज के संगम का जल न केवल स्नान योग्य है बल्कि पीने योग्य भी है। कुछ लोग महाकुंभ को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं।”
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