
भोपाल। नागरिकों की समस्या समाधान के मामले में पड़ोसी राज्य हृदय प्रदेश से बेहतर साबित हुए हैं। यह आंकलन केंद्रीय लोक शिकायत एवं निवारण निगरानी प्रणाली के तहत बीते तीन सालों में दर्ज आंकड़ों के माध्यम से सामने आया है। वर्ष 2018 से लेकर 2020 के बीच शिकायतों के इस ऑनलाइन केंद्रीयकृत माध्यम के जरिये मप्र के लोगों ने करीब डेढ़ लाख से अधिक शिकायतें दर्ज कराई। बावजूद इसके जानकर हैरानी होगी कि इनमें सिर्फ 30,681 का ही समाधान हो पाया है। जबकि यह कुल शिकायतों का 20 प्रतिशत भी नहीं है।
सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश हैं जुड़े
केंद्र सरकार द्वारा तैयार कराई गई इस प्रणाली से केंद्र के अलावा राज्य सरकारों के प्रत्येक मंत्रालय व विभाग जुड़े हैं। जहां लोगों द्वारा दर्ज कराई जाने वाली शिकायतों को हल करने का प्रयास किया जाता है। इस प्रक्रिया को सहज बनाने के लिये सीपीजीआरएएमएस मोबाइल ऐप भी तैया कराया गया है। जानकारी के मुताबिक शिकायतें दर्ज कराने की प्रक्रिया को और आसान करने के लिए केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी व इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय के कॉमन सर्विस सेंटर्स के साथ केंद्र ने एमओयू किया है।
60 के बजाय 45 दिन में समाधान का दावा
राज्य शिकायत पोर्टलों के एकीकरण व शिकायतों के निपटान की अधिकतम सीमा 60 दिन रखी गई थी। त्वरित न्याय के सिद्धांत को लागू करने की मंशा के साथ इसे घटाकर अब इसकी समय सीमा 45 दिन तय कर दी है।
यह है खासियत
केंद्र सरकार ने एक देशव्यापी शिकायत निवारण मंच यानी सीपीजीआरएएमएस की खासियत यह है कि इसमें क्षेत्र स्थान का बंधन नहीं है। कोई भी नागरिक केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित अपनी शिकायतें इस पर कहीं से भी बैठकर दर्ज करा सकता है।
बैंकिंग बीमा की सबसे ज्यादा शिकायतें
संबंधित पोर्टल में दर्ज जानकारी की माने तो इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें बैंकिंग व बीमा क्षेत्र से जुड़ी हुई है। इसके बाद डाक विभाग व भविष्य निधि कार्यालयों का स्थान है। रेल व दूरसंचार विभाग भी इसमें पीछे नहीं है। जबकि सड़क परिवहन, पर्यटन और रोजगार जैसे विषय से जुड़ी शिकायतें बिल्कुल कम है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved