
भोपाल: बिहार (Bihar) विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) 2025 के लिए एनडीए (NDA) और इंडिया गठबंधन (India Coalition) के बीच सियासी जंग जारी है. इसी कड़ी में बीजेपी (BJP) ने नई रणनीति अपनाते हुए मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) को बिहार में उतारा है. जानकारों का मानना है कि इस कदम का मुख्य लक्ष्य यादव वोट बैंक (Vote Bank) पर सीधी पकड़ बनाना, लालू यादव की विरासत को चुनौती देना और एनडीए की पकड़ मजबूत करना है. 14 सितंबर को मोहन यादव पटना पहुंचे और यादव महासभा के बड़े आयोजन में शामिल हुए, जहां कई बड़े नेता भी मौजूद रहे. यह कदम BJP के “एमवाई समीकरण” (मुस्लिम-यादव) को तोड़ने और यादव समुदाय को साधने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
डॉ. मोहन यादव के पटना दौरे के दौरान BJP ने यादव समाज को जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर कार्यक्रम किया. इस आयोजन में ओबीसी आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसराज अहीर, बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, छत्तीसगढ़ के मंत्री गजेंद्र यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और विधायक संजीव चौरेसिया जैसे नेताओं ने मंच साझा किया. एनडीटीवी के रिपोर्ट के अनुसार, इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में भगवान कृष्ण पर केंद्रित प्रस्तुतियां हुईं, जिससे राजनीतिक संदेश भी दिया गया.
अपने संबोधन में मोहन यादव ने बिहार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को बीजेपी के चुनावी एजेंडे से जोड़ा. उन्होंने सम्राट अशोक, पाटलिपुत्र, अवंतिका (उज्जैन) और भोजपुर भाषा के साझा रिश्ते का जिक्र कर बिहार- मध्यप्रदेश की कड़ी बताई. उन्होंने कहा कि बिहार भगवान कृष्ण से जुड़ा राज्य है और यहां भगवान कृष्ण के पुत्र ने सूर्य मंदिर बनवाया था. साथ ही उन्होंने बुद्ध, जैन धर्म के तीर्थंकरों और चाणक्य-नालंदा-तक्षशिला की परंपरा का हवाला दिया. यह बयान स्पष्ट रूप से यादव समुदाय और बिहार की धार्मिक-सांस्कृतिक चेतना से जुड़ाव दिखाने के लिए था.
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