– नई-पुरानी मिलाकर 106 पानी की टंकियां, अब तक 104 में लगाए जा चुके हैं मीटर
– मंडलेश्वर से लेकर बिजलपुर और डायरेक्ट सप्लाय लाइनों में भी लगाए 80 से ज्यादा मीटर
इंदौर।
अब तक जलूद (jalud), मंडलेश्वर (mandleshwar) से इंदौर (indore) पहुंचने वाले 450 एमएलडी से ज्यादा पानी (water) का हिसाब-किताब नहीं रहता था। 36 करोड़ की लागत से स्काडा प्रोजेक्ट (skoda project) के तहत अब पानी की टंकियों (tanks) से लेकर डायरेक्ट सप्लाय वाले क्षेत्रों में इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फ्लोमीटर लगाने का काम तेजी से चल रहा है। अभी तक 104 टंकियों में इसे लगाया जा चुका है। आने वाले 15 से 20 दिनों में यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
नर्मदा (narmada) की लाइनों के लीकेज के चलते कई जगह पानी (water) की बर्बादी होती रही है। इसकी जानकारी अधिकारियों को नहीं लग पाती थी और अगर लगती भी थी तो चार से पांच दिनों में लाखों गैलन पानी (gallon water) विभिन्न स्थानों पर व्यर्थ बह जाता था। इसी के चलते प्रोजेक्ट अमृत ( project amrit) के तहत स्काडा के लिए 36 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की गई और पिछले कई महीनों से इस पर काम चल रहा है। इसके लिए नर्मदा प्रोजेक्ट (narmada project) के मूसाखेड़ी में अत्याधुनिक कंट्रोल रूम बनाया गया है, जहां शहरभर में बंटने वाले पानी का हिसाब-किताब रहेगा। कंट्रोल रूम तो बनकर तैयार है, मगर फ्लोमीटर लगाने का मामला विभिन्न कारणों के चलते उलझन में पड़ा था, जो अब तेजी से किया जा रहा है।
पुणे की कंपनी से खरीदे करोड़ों रुपए के मीटर
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक पुणे की एक कंपनी से इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फ्लोमीटर (electro magnetic flowmeter) बड़े पैमाने पर खरीदे गए हैं। कुल पौने दो सौ के आसपास ऐसे मीटर टंकियों से लेकर जलूद, मंडलेश्वर, महू और डायरेक्ट लाइनों के साथ-साथ बिजलपुर और अन्य स्थानों पर भी टंकियों के अलावा लगाए जा रहे हैं। यह कार्य पूरे प्रोजेक्ट के तहत हो रहा है। रामकी कंपनी इसका कामकाज संभाल रही है। इसके साथ-साथ कई क्षेत्रों में नई लाइनें बिछाने के काम भी तेजी से हो रहे हैं।
15 स्थानों पर 10-10 लाख के मीटर लगाए
फ्लोमीटर (flowmeter) अलग-अलग कीमतों वाले हैं, क्योंकि कई स्थानों पर लाइनों का डाया चेंज होने के कारण वहां बड़े-छोटे मीटर लगाए जा रहे हैं। अनुमानित 50 हजार से लेकर 10 लाख रुपए तक के मीटर लगाने का सिलसिला जारी है। रामकी कंपनी के ही जफर खान के मुताबिक करीब 15 से ज्यादा स्थानों पर बड़े डाया होने के कारण 10-10 लाख रुपए वाले फ्लोमीटर (flowmeter) लगाए गए हैं। इनमें जलूद, महू, बिजलपुर से लेकर कई अन्य बड़ी टंकियां शामिल हैं, जहां लाखों की कीमत वाले मीटर लगाए गए हैं। इससे क्षेत्र में बंटने वाले पानी की एक-एक बूंद का हिसाब रहेगा।
एक क्लिक पर मिलेगा डाटा, कहां कितना पानी बंटा
नर्मदा प्रोजेक्ट (narmada project) के कार्यपालन यंत्री संजीव श्रीवास्तव के मुताबिक स्काडा के तहत सभी पानी की टंकियों में इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फ्लोमीटर (electro magnetic flowmeter) लगाने का काम चल रहा है। आने वाले दिनों में इसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद मूसाखेड़ी स्थित कंट्रोल रूम पर सभी टंकियों से बंटने वाले पानी का हिसाब-किताब न केवल मौजूद रहेगा, बल्कि एक क्लिक पर पता लगाया जा सकेगा कि आज किस टंकी से कितना पानी क्षेत्र में बांटा गया। इसके अलावा डायरेक्ट सप्लाय वाली लाइनों की भी स्थिति पता कर यह जानकारी निकाली जा सकेगी कि डायरेक्ट सप्लाय से कितना पानी शहर में बांटा गया। हालांकि इसमें अभी 20 से 25 दिन का समय और लगना है। बिजलपुर में पिछले दिनों मीटर लगाने के लिए शटडाउन लिया गया था।
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