
इंदौर। राऊ तहसील क्षेत्र के ग्राम माचला में खनन विभाग की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। यहां रहने वाली चंपाबाई और उनके परिवार पर खनन का झूठा आरोप मढ़ दिया गया, जबकि जिस जमीन पर खनन बताया गया है, वह जमीन न तो उनके कब्जे में है और न ही उनका उससे कोई लेना-देना है। उसके बावजूद उनके पास न केवल नोटिस भेजे जा रहे हैं, बल्कि विभाग के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई का डर भी दिखाया जा रहा है।
विभागीय लापरवाही की वजह से एक आम परिवार बलि चढ़ रहा है। अपने लोगों को बचाने के लिए विभाग द्वारा वास्तविक दोषियों पर कार्रवाई करने के बजाय निर्दोष ग्रामीणों पर ही दोष मढऩे की कोशिश की जा रही है। गुनाह किसी का सजा किसी और को…की तर्ज पर काम कर रहा खनन विभाग आम जनता को ही बलि का बकरा बना रहा है।
परिवार द्वारा बताया गया कि उन्हें खनन विभाग से प्राप्त पत्र में सर्वे नंबर 248/49 पर अवैध खनन का आरोप लगाया गया, जबकि यह सर्वे नंबर उनकी भूमि का है ही नहीं। परिवार को जो भूमि शासन द्वारा आवंटित की गई थी, वे आज भी उसी जमीन पर काबिज हैं, जहां केवल घास कटाई व मवेशियों की चराई जैसे सामान्य काम होते हैं। इस भूमि पर कभी भी किसी प्रकार का खनन नहीं हुआ है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस जमीन पर वास्तव में खनन चल रहा था, वह शासकीय भूमि या तालाब के घेराबंदी क्षेत्र में आती है। मौके पर मौजूद तत्कालीन पटवारी शारदा सोलंकी ने स्वयं बताया था कि वहां किया जा रहा उत्खनन तालाब घेराबंदी और निर्माण कार्य के लिए हो रहा है तथा वहां से निकली मिट्टी खंडवा रोड निर्माण में उपयोग की जा रही है।
राजस्व विभाग और खनन विभाग मौके का संयुक्त मुआयना करें
परिवार का आरोप है कि राजस्व विभाग की त्रुटि और गलत सर्वे नंबर दर्ज होने की वजह से निर्दोष लोगों को बिना जांच किए नोटिस भेज दिए गए। इससे परिवार को अनावश्यक तनाव, मानसिक पीड़ा और सामाजिक बदनामी का सामना करना पड़ रहा है। परिवार ने मांग की है कि राजस्व विभाग और खनन विभाग मौके का संयुक्त मुआयना करें। पड़ोसी भूमि स्वामियों व संबंधित पटवारी-तहसीलदार से सत्यता की जांच कराई जाए और जो गलती हुई है उसे तुरंत
सुधारा जाए।
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