
नई दिल्ली । केन्द्र की मोदी सरकार (Modi Government at the Centre) ने ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ (‘Prime Minister’s Wealth-Grain Agriculture Scheme’) को मंजूरी दे दी (Has Approved) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ को मंजूरी दी ।
यह योजना वित्त वर्ष 2025-26 से शुरू होकर अगले 6 साल तक लागू की जाएगी और देश के 100 जिलों को कवर करेगी। ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि’ योजना, नीति आयोग के ‘आकांक्षी जिला कार्यक्रम’ की पहल से प्रेरित है। यह कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों पर केंद्रित अपनी तरह की पहली योजना होगी। इस योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता में वृद्धि, फसल विविधीकरण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाना, पंचायत और ब्लॉक स्तर पर फसल कटाई के बाद भंडारण की सुविधा बढ़ाना, सिंचाई सुविधाओं में सुधार और दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक कृषि ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
इस योजना का क्रियान्वयन 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा योजनाओं, राज्य सरकारों की योजनाओं और निजी क्षेत्र के साथ स्थानीय भागीदारी के जरिए किया जाएगा। योजना के लिए कम उत्पादकता, कम फसल सघनता और कम ऋण वितरण जैसे तीन प्रमुख बिंदुओं के आधार पर 100 जिलों की पहचान की जाएगी। हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में जिलों का चयन नेट क्रॉप एरिया और ऑपरेशनल होल्डिंग्स के आधार पर किया जाएगा। हालांकि, प्रत्येक राज्य से कम से कम एक जिले का चयन होगा।
योजना की इफेक्टिव प्लानिंग, इंप्लीमेंटेशन और मॉनिटरिंग के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कमेटी गठित की जाएंगी। जिला स्तर पर एक ‘जिला धन-धान्य समिति’ बनेगी, जिसमें प्रगतिशील किसान भी शामिल होंगे। ये समितियां एक ‘जिला कृषि और संबद्ध गतिविधि योजना’ तैयार करेंगी, जो प्राकृतिक खेती, पानी-मिट्टी की रक्षा, आत्मनिर्भरता और फसल विविधीकरण जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों से जुड़ी होगी।
प्रत्येक धन धान्य जिले में योजना की प्रगति की निगरानी मासिक आधार पर एक डैशबोर्ड के माध्यम से 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर की जाएगी। नीति आयोग भी जिला योजनाओं की समीक्षा और मार्गदर्शन करेगा। इसके अलावा, प्रत्येक जिले के लिए नियुक्त केंद्रीय नोडल अधिकारी भी नियमित आधार पर योजना की समीक्षा करेंगे।
जैसे-जैसे इन 100 जिलों में लक्षित परिणामों में सुधार होगा, देश के प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों के मुकाबले समग्र औसत में वृद्धि होगी। इस योजना के परिणामस्वरूप उत्पादकता में वृद्धि होगी, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में मूल्यवर्धन होगा, स्थानीय आजीविका का सृजन होगा और इस प्रकार घरेलू उत्पादन में वृद्धि होगी तथा आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को बढ़ावा मिलेगा। जब इन जिलों के प्रदर्शन में सुधार होगा, तो देश का औसत प्रदर्शन भी बेहतर हो जाएगा।
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