
नई दिल्ली । RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने रविवार को कहा कि संगठन का कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है और इसे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नजरिए से नहीं देखना चाहिए। भागवत ने संघ के शताब्दी समारोह के हिस्से के रूप में कोलकाता में ‘आरएसएस 100 व्याख्यान माला’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, कहा कि आरएसएस (RSS) को संकीर्ण या तुलनात्मक ढांचों से नहीं समझा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘अगर आप संघ को समझना चाहते हैं, तो इसका अनुभव करना पड़ेगा। तुलना करने से गलतफहमी होगी। अगर आप संघ को सिर्फ एक और सेवा संगठन मानते हैं, तो आप गलत हैं।’ भागवत ने कहा, ‘बहुत से लोगों की प्रवृत्ति संघ को भाजपा के नजरिए से समझने की होती है, जो बहुत बड़ी गलती है।’
उन्होंने कहा कि हालांकि भाजपा के कई नेताओं की जड़ें आरएसएस में हो सकती हैं, लेकिन दोनों अलग-अलग भूमिकाओं वाले अलग-अलग संगठन हैं। बाद में कोलकाता के साइंस सिटी ऑडिटोरियम में एक अन्य कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि आरएसएस राजनीति नहीं करता है और उसका कोई दुश्मन नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह संगठन पूरी तरह से हिंदू समाज की भलाई, सुरक्षा और एकता के लिए काम करता है। उन्होंने कहा, ‘संघ को अक्सर गलत समझा जाता है। बहुत से लोग इसका नाम जानते हैं लेकिन इसके काम को नहीं समझते। आरएसएस दुश्मनी या टकराव की मानसिकता से काम नहीं करता।’ संघ प्रमुख ने कहा कि आरएसएस का मुख्य उद्देश्य ‘सज्जन’ यानी नैतिक रूप से ईमानदार और गुणी व्यक्तियों का निर्माण करना है जो सेवा, मूल्यों और राष्ट्रीय गौरव से प्रेरित हों और जो देश के विकास में योगदान दें।
भागवत ने कहा कि संगठन के विकास से कुछ लोगों के हितों पर असर पड़ सकता है, जिससे विरोध हो सकता है, लेकिन संघ खुद किसी को दुश्मन नहीं मानता। आरएसएस के मुस्लिम विरोधी होने के आरोपों को खारिज करते हुए भागवत ने कहा कि ऐसी धारणाएं तथ्यों के बजाय कहानियों पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि संघ का काम पारदर्शी है और कोई भी इसे देख सकता है।
उन्होंने कहा, ‘जो लोग आए हैं और हमारे काम को देखा है, उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला है कि हम कट्टर राष्ट्रवादी हैं जो हिंदुओं की सुरक्षा के लिए काम करते हैं लेकिन मुस्लिम विरोधी नहीं हैं।’ उन्होंने आलोचकों से संगठन का दौरा करने और इसे सीधे समझने का आग्रह किया। संघ प्रमुख ने कहा कि भारत एक बार फिर ‘विश्वगुरु’ बनेगा और समाज को उस भूमिका के लिए तैयार करना संघ का कर्तव्य है।
इस दौरान उन्होंने हिंदू समुदाय के अंदर ज्यादा एकता और भूली हुई सांस्कृतिक तथा सामाजिक जड़ों की ओर लौटने का आह्वान किया। बंगाल की विरासत का ज़िक्र करते हुए भागवत ने स्वामी विवेकानंद, राजा राम मोहन रॉय और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसी हस्तियों को याद किया। उन्होंने सामाजिक सुधार में उनकी भूमिका के लिए राजा राम मोहन रॉय की खास तौर पर तारीफ की, और कहा कि आरएसएस सामाजिक बदलाव की उस विरासत को आगे बढ़ाना चाहता है।
उन्होंने कहा कि अपनी शताब्दी समारोह के हिस्से के रूप में,आरएसएस की सच्चाई को जनता के सामने रखने के लिए कोलकाता, दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में लेक्चर और बातचीत के सेशन आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने लोगों से अन्य स्रोतों के बजाय तथ्यों के आधार पर राय बनाने का आग्रह किया।
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