
जबलपुर। जस्टिस अतुल श्रीधरन (Justice Atul Shridharan) का गुरुवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) में विदाई समारोह था। इस दौरान बोलते हुए वो थोड़ा शायराना हो गए। मशहूर शायर राहत इंदौरी (Famous poet Rahat Indori) का शेर सुनाते हुए उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड में एकमात्र स्थायी चीज अस्थायित्व है। उन्होंने कहा कि तबादले सेवा का एक हिस्सा हैं और वह देश के सबसे बड़े हाईकोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट में सेवा देने के लिए उत्साहित हैं और तत्परता से उसकी ओर देख रहे हैं।
राहत इंदौरी का शेर पढ़ते हुए जस्टिस अतुल श्रीधरन ने कहा कि मैं इंदौर के गौरव, राहत इंदौरी के शब्दों में तबादलों को देखना चाहूंगा, जिन्होंने कहा था, ‘जो आज साहिब-ए-मसनद है कल नहीं होंगे, किराएदार हैं जाती मकान थोड़ी है।’न्यायमूर्ति श्रीधरन का यह हालिया तबादला जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट से उनके मूल हाईकोर्ट मध्य प्रदेश में वापस ट्रांसफर किए जाने के कुछ ही महीनों बाद आया है।
न्यायमूर्ति श्रीधरन का सबसे हालिया तबादला 18 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में किया गया था। यह तबादला, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से सरकार के उस अनुरोध को स्वीकार करने के कुछ ही दिनों बाद हुआ, जिसमें सरकार ने उन्हें पहले की सिफारिश के अनुसार छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में ट्रांसफर न करने की मांग की थी। सरकार के हस्तक्षेप (दखल) को देखते हुए, उनके इस तबादले ने कई लोगों को आश्चर्यचकित किया और सवाल खड़े किए थे।
न्यायमूर्ति श्रीधरन मध्य प्रदेश में हाईकोर्ट कॉलेजियम का हिस्सा थे और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में भी वह उसी तरह की स्थिति में होते। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट में वह वरिष्ठता क्रम में सातवें नंबर पर होंगे। उन्हें अप्रैल 2023 में मध्य प्रदेश से जम्मू और कश्मीर में स्थानांतरित किया गया था। यह स्थानांतरण उन्होंने खुद इस आधार पर मांगा था कि उनकी बेटी मध्य प्रदेश में वकालत शुरू कर रही थी। इसी साल मार्च में उन्हें वापस मध्य प्रदेश में स्थानांतरित कर दिया गया था।
आज अपने भाषण में, न्यायमूर्ति श्रीधरन ने हाईकोर्ट में अपने शांतिपूर्ण और छोटे दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और अन्य न्यायाधीशों को धन्यवाद दिया। उन्होंने बार (Bar) को भी धन्यवाद दिया कि उसने इतने अनुग्रह और करुणा के साथ उनके दूसरे कार्यकाल को सहन किया। उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ताओं गोपाल सुब्रमण्यम और सत्येंद्र कुमार व्यास को भी श्रेय दिया, जिनके साथ उन्होंने एक वकील के रूप में अभ्यास किया था।
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