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MP : भारत ने कभी युद्ध की शुरुआत नहीं की, चुनौती मिलेगी तो देंगे करारा जवाब, महू में बोले रक्षामंत्री राजनाथसिंह

August 27, 2025

इंदौर. महू (Mhow) स्थित आर्मी वार कॉलेज (Army War College) में चल रहे दो दिवसीय विशिष्ट त्रि सेवा सेमिनार ‘रण संवाद 2025’ (‘Ran Samvad 2025’) का बुधवार को दूसरा दिन रहा। इस अवसर पर रक्षा मंत्री (Defence Minister) राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने देश की सैन्य शक्ति, युद्धकला और संवाद की भारतीय परंपरा पर विस्तार से अपने विचार रखे। कार्यक्रम में तीनों सेनाओं के शीर्ष नेतृत्व, रक्षा विशेषज्ञों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।

“भारत आक्रामक नहीं, लेकिन आत्मरक्षा के लिए हमेशा तैयार”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया, न ही युद्ध की शुरुआत की। लेकिन आज की बदलती भू राजनीतिक परिस्थितियों में यदि कोई हमें चुनौती देता है तो उसका सामना मजबूती से करना जरूरी हो जाता है। इसके लिए रक्षा तैयारियों को निरंतर मजबूत करना, तकनीकी प्रगति और सहयोगी देशों के साथ संवाद अहम है।


“संवाद हमारी संस्कृति का हिस्सा, महाभारत इसका उदाहरण”
राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘रण संवाद’ नाम ही गहन विचार का विषय है। ‘रण’ युद्ध का प्रतीक है जबकि ‘संवाद’ चर्चा और मेल मिलाप का। पहली नजर में दोनों विरोधाभासी लगते हैं, लेकिन भारतीय संस्कृति में ये दोनों साथ साथ चलते हैं। उन्होंने महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा कि युद्ध रोकने के लिए स्वयं श्रीकृष्ण शांति संदेश लेकर गए थे, ताकि संवाद से युद्ध टल सके। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय परंपरा में युद्ध और संवाद अलग अलग नहीं हैं। संवाद युद्ध से पहले भी होता है, युद्ध के दौरान भी और युद्ध के बाद भी जारी रहता है। यही ‘रण संवाद’ का सबसे प्रासंगिक संदेश है, जो आज के समय में भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

‘कई नीतिगत सुधार किए गए’
कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में हाल के वर्षों में कई नीतिगत सुधार किए गए हैं। स्वदेशी डिजाइन, विकास और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए बड़े कदम उठाए गए हैं। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता अब केवल सपना नहीं, बल्कि साकार होती हकीकत है।”

राजनाथ सिंह ने बताया कि वर्ष 2014 में देश का रक्षा उत्पादन जहां केवल 46,425 करोड़ रुपये था, वहीं अब यह बढ़कर रिकॉर्ड 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। इसमें निजी क्षेत्र का योगदान भी 33,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान में निजी उद्योग भी अहम भागीदार बनते जा रहे हैं। यही वजह है कि भारत के रक्षा निर्यात, जो दस साल पहले मात्र 1,000 करोड़ रुपये से भी कम थे, अब बढ़कर 24,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ व्यापार या उत्पादन का मामला नहीं है, बल्कि यह भारत की बदलती वैश्विक पहचान का प्रतीक है।”

स्वदेशी तकनीक और हथियारों का भी किया जिक्र
रक्षा मंत्री ने इस दौरान स्वदेशी तकनीक और हथियारों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “आज हमारे स्वदेशी प्लेटफॉर्म जैसे लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ‘तेजस’, एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम, आकाश मिसाइल सिस्टम और स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर दुनिया को संदेश दे रहे हैं कि भारत की तकनीक और गुणवत्ता अब विश्व स्तरीय मानकों पर है। यह आत्मविश्वास और ताकत हमारे वैज्ञानिकों, उद्योगों और नेतृत्व की देन है।”

राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि अब भारत रक्षा उपकरणों का आयात करने के बजाय स्वयं निर्माण कर रहा है। उन्होंने खुलासा किया कि भारत ने अब पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (Fifth Generation Fighter Aircraft) बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इसके साथ ही देश अब जेट इंजन निर्माण में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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