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मप्रः गौरवशाली-वैभवशाली भारत के निर्माण में मप्र देगा सर्वश्रेष्ठ योगदानः शिवराज

February 03, 2022

मुख्यमंत्री बोले-अमृत काल में प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने के लिए टीम मप्र प्रतिबद्ध

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व (Prime Minister Narendra Modi’s leadership) में प्रस्तुत केंद्रीय बजट अमृत काल का बजट है। यह प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने का समय है। टीम मध्यप्रदेश बिना एक क्षण गवाएं प्रदेश के विकास और उन्नति के लिए निरंतर कार्य करें। गौरवशाली, वैभवशाली भारत के निर्माण में मध्यप्रदेश अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देगा।


मुख्यमंत्री चौहान बुधवार को तीन से 11 जनवरी 2022 तक हुई विभागीय समीक्षाओं में दिए गए निर्देशों के क्रियान्वयन की समीक्षा कर रहे थे। मंत्रालय में समस्त मंत्रीगण, मुख्य सचिव, समस्त अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिवों के साथ आयोजित बैठक में केन्द्रीय बजट से मध्यप्रदेश द्वारा लाभ उठाए जाने की रणनीति और राज्य बजट 2022-23 में विभिन्न विभागों की प्राथमिकताओं पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने वाराणसी में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद के विभिन्न बिन्दुओं पर की गई कार्यवाही की भी जानकारी प्राप्त की। बैठक वंदे मातरम गान से आरंभ हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी निर्धारित गतिविधियाँ टाइम लाइन में पूर्ण करना सुनिश्चित करें।

उन्होंने कहा कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का निर्माण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत केन्द्रीय बजट से, राज्य सरकार जिन-जिन गतिविधियों में लाभ ले सकती है, उसकी प्रत्येक विभाग व्यवहारिक कार्य-योजना बनाए। आवास, शहरी अधोसंरचना, कुटीर, लघु एवं मध्यम उद्यम, औद्योगिक विकास, सड़कों के निर्माण, जल जीवन मिशन के लिए केन्द्रीय बजट में किए गए प्रावधानों का अध्ययन कर प्रदेश के लिए अधिकतम सहयोग प्राप्त किया जाए।

मुख्यमंत्री ने किसान-कल्याण एवं कृषि विकास विभाग की समीक्षा के दौरान कहा कि कृषि का विविधीकरण, मोटे अनाजों की खेती को प्रोत्साहन और प्राकृतिक तथा जैविक खेती राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। मंत्रि-परिषद के जिन-जिन सदस्यों के पास खेती है, वे अपने खेत में प्राकृतिक खेती का मॉडल फॉर्म विकसित करें। इससे लोग प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित होंगे और धरती का स्वास्थ्य सुधारने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी के दोनों ओर पाँच किलोमीटर की पट्टी पर प्राकृतिक खेती को विकसित करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में फसल पैटर्न के बदलाव का कार्य खरीफ की फसलों के साथ आरंभ कर दिया जाएगा। नरवाई जलाने की प्रथा पर नियंत्रण के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर बनाए जाएंगे, इसके लिए किसानों को किराए पर मशीन उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्यानिकी की खेती में निर्धारित 22 उत्पाद का मैकेनिज्म विभिन्न जिलों के अधिकारियों तथा उत्पादकों के साथ तय किया जाए। उद्यानिकी उत्पाद, उनके गुणवत्ता सुधार, पैकेजिंग, मार्केटिंग और ब्राण्डिंग के लिए सम्पूर्णता में रणनीति बनाना और उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करना आवश्यक है। मधुमक्खी पालन को उन्हीं जिलों में प्रोत्साहित किया जाए जहाँ फूलों की खेती या फूलों वाली फसलें अधिक होती हैं। उद्यानिकी सहित पॉली हाउस, नर्सरी, प्राकृतिक खेती आदि के लिए दक्ष व्यक्तियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रदेश में मालियों के प्रशिक्षण के लिए विशेष व्यवस्था की जाना आवश्यक है। इस दिशा में कृषि विश्वविद्यालयों को जोड़कर रणनीति बनाई जाए। (एजेंसी, हि.स.)

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