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MP में भी होगा UP जैसा चुनाव

September 02, 2022

भोपाल। विधानसभा चुनाव 2023 (assembly election 2023) के लिए राजनीतिक पार्टियां सक्रिय हो गई हैं। इससे के लिए अलग-अलग अभियान (Campaign) चलाए जा रहे हैं। इसी क्रम में भाजपा यूपी की तर्ज पर ही एमपी में बूथ स्तर पर मंदिर-मस्जिद, गुरुद्वारा-चर्च से जुड़ी हर बारीक एकत्र कर रही है। साथ ही धार्मिक आयोजन के कर्ताधर्ता, किस राजनीतिक दल को सपोर्ट करते हैं, उनके आंकड़े भी तैयार किए जा रहे हैं। आलाकमान ने इसकी जिम्मेदारी विधायकों और सांसदों (MLAs and MPs) को दी हैं।

भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनाव 2023 के चुनाव के लिए कमर कस ली है। फिलहाल संगठन लक फोकस कमजोर और हारे हुए क्षेत्रों में है। और इसकी जानकारी जुटाई जा रही है कि हर बूथों के तहत कितने धार्मिक स्थल, जातियां और सामाजिक नेताओं का राजनीतिक प्रभाव है। इसके लिए भाजपा ने हाल ही में विधायकों और सांसदों को सरल एप की ट्रेनिंग दी।

भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया कि धार्मिक स्थलों की जानकारी जुटाने के बाद उनके संचालकों और उनसे जुड़े पदाधिकारियों को पार्टी से जोड़ा जाएगा। जिन धार्मिक स्थलों के प्रति लोगों में ज्यादा आस्था है, वहां भाजपा बड़ा आयोजन करेगी। और इसी तरह जातिगत समीकरण को साधने के लिए सामाजिक संगठनों में पैठ बनाई जाएगी।


उन्होंने बताया कि इस एप में विधायकों और सांसदों को उनके विधानसभा और संसदीय क्षेत्र के कमजोर बूथ की जानकारी देनी होगी। साथ ही विधायकों और सांसदों को उनके इलाके के मंदिर और मस्जिदों की जानकारी भी अपडेट करनी होगी। और उनके विधानसभा क्षेत्र में होने वाले प्रमुख धार्मिक आयोजनों की जानकारी भी विधायक और सांसदों को एप के जरिए देनी होगी।

इसके लिए भाजपा ने प्रत्येक सीट पर चुनाव होने तक सांसदों, विधायकों और जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी तय की है। संगठन ने इन सभी को अपनी अपनी सीटों को जीतने के लिए माइक्रो प्लानिंग बनाने की बात कही है। और मॉनिटर करने के लिए भी राज्यसभा सांसदों, प्रदेश के केंद्रीय मंत्री और प्रदेश पदाधिकारियों को भी इन सीटों पर जाना पड़ेगा।

भाजपा को 2018 के चुनाव में आदिवासी बहुल सीटों सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में पार्टी ने धार, झाबुआ, खरगोन, बड़वानी जैसे आदिवासी बहुल जिलों की हर एक विधानसभा सीट पर विशेष तैयारी की है। वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में 107 सीटें मिली थीं, जिससे पार्टी बहुमत से दूर रह गई थी। ऐसे में पार्टी ने हारी हुई सीटों को लेकर विशेष रणनीति तैयार की हैं।

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