
उज्जैन। विनोद मिल की जमीन शासन ने बेचना शुरू कर दी है और उसके बाद इस जमीन पर से पेड़ काटने का काम भी शुरू हो गया है। शासन जमीन बेचने के बाद समतल कर संबंधित ग्राहक को दे रहा है। ऐसे में यहाँ के हरे-भरे पेड़ रोजाना काटे जा रहे हैं और तो और नगर निगम से अनुमति होने के पहले ही एमपीआरडीसी ने हरे-भरे वृक्ष काटना शुरू कर दिए हैं।
विनोद मिल परिसर में जैन मंदिर के पीछे एमपीआरडीसी ने रोड बनाने का काम शुरू कर दिया है और इस रोड को बनाने में करीब 230 पेड़ों की कटाई की जा रही है, जिसकी अनुमति के लिए एमपीआरडीसी ने नगर निगम में आवेदन किया है लेकिन अभी तक अनुमति नहीं हुई है। उसके पहले ही यहाँ से एमपीआरडीसी ने पेड़ काटना शुरू कर दी है और सड़क भी बनाना शुरू कर दी। इस संबंध में जब उद्यान अधिकारी विधु कोरव से पूछा गया तो उनका कहना था कि एमपीआरडीसी ने इस परिसर में सड़क बनाने के लिए 230 पेड़ों की कटाई के लिए आवेदन दिया है लेकिन उनकी अनुमति जारी नहीं हुई है। उसके पहले उन्होंने कैसे हरे-भरे वृक्ष काटे इस संबंध में जानकारी लेंगे और कार्रवाई करेंगे।
विनोद मिल परिसर पिछले कई दिनों से उजाड़ पड़ा था और यहाँ हजारों की संख्या में हरे-भरे वृक्ष है जिनमें आम, जामुन, पीपल और भी अन्य प्रजाति के हरे-भरे वृक्ष यहाँ मोर विचरण करते थे लेकिन अब शासन द्वारा यह जमीन बेचने के बाद बिल्डरों द्वारा यहाँ बाउंड्री वाल बनाई जा रही है और पेड़ काटे जा रहे हैं। इसके अलावा शासन के एजेंसी भी सड़क बनाने के लिए हरे-भरे पेड़ काट रही है। ऐसे में यह पूरा क्षेत्र भी अब सीमेंट का जंगल बन जाएगा। उधर विभाग के अधिकारी का कहना है कि यहाँ जो 230 वृक्ष एमपीआरडीसी के द्वारा काटे जा रहे हैं उन वृक्षों के स्थान पर अन्य जगह पर 10 गुना वृक्ष एमपीआरडीसी लगाएगा और पीपल जो कि सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देता है। उस पेड़ के 1500 और बबूल के 500 प्रतिपूर्ति के नगर निगम लेगा जिसमें नगर निगम अन्य जगह वृक्ष लगाएगा।
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