
नई दिल्ली । न्यूजीलैंड सरकार (New Zealand Government) ने 18 वर्षीय नवजोत सिंह (Navjot Singh) को भारत (India) प्रत्यर्पित करने का निर्णय लिया है। बताया जा रहा है कि उसके पास देश में कोई वैध कानूनी दर्जा नहीं है। हैरान करने वाली बात ये है कि नवजोत का जन्म और पालन-पोषण न्यूजीलैंड में ही हुआ है, और उसने कभी इस देश की सीमा पार नहीं की। यह विवादास्पद स्थिति 2006 के एक कानून से उपजी है, जिसने जन्म-आधारित नागरिकता (Citizenship) को समाप्त कर दिया। इसके तहत वैध वीजा के बिना रहने वाले माता-पिता के बच्चे, जो 2006 के बाद न्यूजीलैंड में पैदा हुए, को कानूनी मान्यता नहीं मिलती।
बता दें कि नवजोत सिंह का जन्म 2007 में ऑकलैंड में हुआ था। उसके माता-पिता भारतीय मूल के हैं और वे वीजा की मियाद से अधिक समय तक वहां टिके रहे। जब नवजोत मात्र पांच दिन का था, तब उसके पिता को निर्वासित कर दिया गया था। वहीं 2012 में जब वह सिर्फ पांच वर्ष का था, उसकी मां ने भी अपनी कानूनी स्थिति खो दी। नवजोत को अपनी इस कठिनाई का अहसास आठ वर्ष की उम्र में हुआ, जब उसे पता चला कि न्यूजीलैंड में उसे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और बुनियादी अधिकार कभी प्राप्त नहीं होंगे।
इसके बावजूद, नवजोत को न्यूजीलैंड छोड़ने से डर रहा है। वहां उसके सारे दोस्त हैं, और उसे लगता है कि भारत में जीवन कठिन होगा, क्योंकि वह हिंदी नहीं बोलता। उसने सुना है कि भारत में उच्च शिक्षित लोगों को भी नौकरी मुश्किल से मिलती है, और खुद वह कभी स्कूल नहीं जा सका। रेडियो न्यूजीलैंड (आरएनजेड) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सहयोगी आव्रजन मंत्री क्रिस पेंक ने हाल ही में नवजोत के निवास अनुरोध को मंत्रिस्तरीय हस्तक्षेप के जरिए ठुकरा दिया।
नवजोत का प्रतिनिधित्व कर रहे आव्रजन वकील एलेस्टेयर मैक्लीमोंट ने इस फैसले को ‘अमानवीय’ करार दिया और सरकार से निष्पक्षता बरतने की अपील की। आरएनजेड को दिए बयान में मैक्लीमोंट ने कहा कि यहां पले-बढ़े मासूम बच्चों को किसी विदेशी भूमि पर निर्वासित करना बेमानी है। उन्होंने सुझाव दिया कि न्यूजीलैंड को अपने कानूनों को ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों के समकक्ष ढालना चाहिए, जहां 10 वर्ष तक रहने वाले बच्चों को नागरिकता का अधिकार मिलता है।
दूसरी ओर समुदाय के स्तर पर भी समर्थन उमड़ पड़ा है। सुप्रीम सिख सोसाइटी के अध्यक्ष दलजीत सिंह सहित कई नेता नवजोत के पक्ष में खड़े हो गए हैं। दलजीत सिंह ने आरएनजेड से कहा कि वह यहीं पैदा हुआ है और हमारे समुदाय का अभिन्न अंग है। वहीं, आव्रजन मंत्री एरिका स्टैनफोर्ड के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि 2006 के बाद जन्मे ऐसे मामलों पर कोई सामान्य नीति नहीं चल रही, लेकिन व्यक्तिगत आधार पर आव्रजन संरक्षण ट्रिब्यूनल या मंत्रिस्तरीय हस्तक्षेप से विचार किया जा सकता है।
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