
कानपुर। अब तक की जानकारी यह कि एनकाउंटर की रात बिकरू गांव अंधेरे में डूबा था। लेकिन सच्चाई यह कि गांव में भरपूर उजाला था। बिजली जल रही थी। सोलर लाइटें भी जगमगा रही थीं। पुलिस दबिश के वक्त इस्तेमाल होने वाली ड्रैगन लाइटों से लैस थी। तमाम सिपाही टॉर्च भी जला रहे थे। यानि एनकाउंटर जब हुआ, भरपूर उजाला था। बाद में बिजली कटी और अंधेरा हो गया।
एनकाउंटर के वक्त मौजूद जांबाजों ने ऐसे ही बयान दिए हैं, जिन्हें पुलिस ने चार्जशीट का हिस्सा बनाया है। अब तक कहा जा रहा था कि जब बिकरू में पुलिस को घेरकर गोलियां बरसाई जा रही थीं, वहां घुप अंधेरा था। गांव की बिजली कटवा दी गई थी। पुलिस यह देख ही नहीं पा रही थी कि कौन कहां है? गोलियां कहां से चल रही हैं? चार्जशीट से खुलासा हुआ है कि यह सिरे से गलत बात प्रचारित हो गई।
एनकाउंटर में शामिल सिपाही पिंटू तोमर ने बयान में कहा, ‘घटना वाले दिन पर्याप्त बिजली व सोलर लाइट थीं।’ उसके इसी बयान की हेड कांस्टेबल अखिलेश कुमार और सिपाही नवनीत ने भी पुष्टि की। दोनों ने कहा- गांव में पर्याप्त रोशनी थी। सिपाही कुंवरपाल ने बयान में कहा- पुलिस के पास ड्रेगनलाइट और टार्च भी मौजूद थीं। सिपाही अवनीश कुमार ने कहा-जो टीमें दबिश पर गई थीं, उनके पास रोशनी के लिए पर्याप्त उपकरण थे।
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