
नई दिल्ली । दिल्ली पुलिस(Delhi Police) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में दावा किया कि ‘जो बुद्धिजीवी आतंकवादी(Intellectual terrorists) बन जाते हैं, वे जमीनी स्तर के अपराधियों से भी बड़ा खतरा पैदा करते हैं।’ यह दलील 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े बड़े साजिश मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए दी गई। दिल्ली पुलिस के अनुसार, ये आरोपी बुद्धिजीवियों के भेष में राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। इस दौरान पुलिस के वकील ने अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की खबरों का भी जिक्र किया जिनमें इन आरोपियों को बुद्धिजीवी बताया गया है। कोर्ट उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर, शादाब अहमद और मोहम्मद सलीम खान की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।
मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की पीठ में जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजरिया शामिल हैं। दिल्ली पुलिस की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तर्क दिया कि डॉक्टर, इंजीनियर जैसे शिक्षित पेशेवर अब राज्य की सुविधाओं का इस्तेमाल करके राष्ट्र-विरोधी कार्यों में संलिप्त हो रहे हैं। उन्होंने हाल ही में लाल किले के पास हुए विस्फोट का हवाला देते हुए कहा कि यह एक ‘सफेदपोश आतंक मॉड्यूल’ का उदाहरण है, जहां एक डॉक्टर ने कार बम विस्फोट में 14 लोगों की जान ली।
पुलिस का दावा: साजिश का मास्टरमाइंड
दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े बड़े षड्यंत्र के मामले में छह आरोपी देशद्रोही हैं, जिन्होंने हिंसा के जरिए सरकार को गिराने की कोशिश की। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पीठ को बताया कि विदेशी अखबार भी आरोपियों के बारे में हमदर्दी वाली खबरें छापते हैं, बिना यह समझे कि वे देशद्रोही हैं, न कि बुद्धिजीवी। ASG ने कहा- न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक स्टोरी छापी। क्योंकि ट्रंप भारत आ रहे थे। जब भी जमानत का मामला आता है, न्यूयॉर्क टाइम्स कुछ छापता है। सोशल मीडिया कुछ करता है। बिना यह समझे कि वे बुद्धिजीवी होने के बहाने देशद्रोही हैं। उन्होंने दावा किया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ आरोपियों का पूरा विरोध सत्ता में बदलाव लाने के मकसद से था और इसके बाद हुए दंगों में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के एक अधिकारी सहित 53 लोगों की मौत हो गई।
‘ऐसे इंटेलेक्चुअल कई गुना ज्यादा खतरनाक’
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील देते हुए कहा- एक कहानी बनाई जा रही है कि वह एक इंटेलेक्चुअल (बुद्धिजीवी) है, उसे परेशान किया जा रहा है वगैरह। ऐसा नहीं है। ऐसे इंटेलेक्चुअल कई गुना ज्यादा खतरनाक होते हैं। इनकी बातों को देखिए। प्रोटेस्ट का असली मकसद सरकार बदलना था, पूरे भारत में आर्थिक भलाई का गला घोंटना था। CAA प्रोटेस्ट सिर्फ एक गुमराह करने वाली बात थी। इसकी वजह से 53 लोगों की मौत हो गई, जिसमें एक पुलिस वाला भी शामिल है जिसे लिंच कर दिया गया। एक IB ऑफिसर भी मारा गया। 530 से ज्यादा लोग घायल हुए। बांग्लादेश और नेपाल में जो हो रहा था, उसी तरह की कोई योजना बनाई जा रही थी, लेकिन वह काम नहीं आई। एक बड़ी साज़िश है जो सब कुछ अपने में समेटे हुए है। वे कहते हैं कि दूसरे केस में मुझे बेल पर रिहा कर दिया गया है। लेकिन बात यह नहीं है। साजिश से पहले भी वे दूसरे केस में शामिल थे।
राजू ने यह भी दावा किया कि यह इस तरह से किया गया था कि यह US प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के दौरे के साथ मेल खाए। ASG ने तर्क दिया कि जब बुद्धिजीवी आतंकवादी बन जाते हैं, तो वे जमीनी आतंकवादियों से कहीं ज्यादा खतरनाक होते हैं। राजू ने आरोप लगाया- इसे इस तरह से प्लान किया गया था कि यह डोनाल्ड ट्रंप के दौरे के साथ सिंक्रोनाइज हो ताकि इससे इंटरनेशनल मीडिया का ध्यान मिले। बुद्धिजीवी, जब आतंकवादी बन जाते हैं, तो जमीनी आतंकवादियों से ज्यादा खतरनाक होते हैं। ये बुद्धिजीवी ही असली दिमाग हैं। लाल किले में जो हुआ, उससे यह साबित हो गया है।
शरजील इमाम के इंजीनियरिंग ग्रेजुएट होने पर तंज
एसजी राजू ने शरजील इमाम के इंजीनियरिंग ग्रेजुएट होने का जिक्र करते हुए कहा- आजकल डॉक्टर और इंजीनियर अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों को छोड़कर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में लिप्त हो रहे हैं। उन्होंने कोर्ट में इमाम के 2019-20 में चाकुंद, जामिया, अलीगढ़ और आसनसोल में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों के वीडियो दिखाए। एक भाषण में इमाम ने कहा था- चक्का जाम ही आखिरी रास्ता है, दिल्ली तो बस ट्रेलर है। पुलिस का दावा है कि इमाम ने असम को भारत से अलग करने की बात की और चिकन नेक कॉरिडोर को निशाना बनाने का आह्वान किया।
क्या बोले आरोपी
जमानत याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने इन आरोपों का खंडन किया। उमर खालिद के वकील ने कहा कि खालिद दंगों के समय दिल्ली में ही नहीं थे और उन्होंने हिंसा का कोई आह्वान नहीं किया। शरजील इमाम के वकील ने दावा किया कि उनके मुवक्किल ने केवल शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों का समर्थन किया था। गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर, शादाब अहमद और मोहम्मद सलीम खान के वकीलों ने कहा कि ये सभी सीएए के खिलाफ छात्र आंदोलन के हिस्से थे, न कि किसी साजिश के। मीरान हैदर के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि हैदर ने सार्वजनिक रूप से इमाम की मौजूदगी का विरोध किया था, जो साजिश के आरोपों को गलत साबित करता है। आरोपी पक्ष ने लंबे समय से चली आ रही हिरासत और मुकदमे में देरी का हवाला देते हुए जमानत की मांग की।
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