
इन्दौर। कांग्रेस की जिस तरह से दुर्गति हो रही है, उससे वर्तमान कांग्रेसी सबक नहीं ले रहे हैं। कल शहर कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष देवेन्द्रसिंह यादव ने नगर निगम पर धरना दिया, लेकिन इस धरने में एक भी कांग्रेसी पार्षद शामिल नहीं हुआ, जबकि धरना वार्डों की समस्याओं को लेकर था। इससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस में संवादहीनता किस चरम तक पहुंच गई है। कुल मिलाकर शहर कांग्रेस में अभी भी गुटबाजी और राजनीतिक श्रेय की होड़ थमने का नाम नहीं ले रही है। वैसे तो इंदौर में 6 कार्यवाहक अध्यक्ष हैं, लेकिन वे पार्टी के ही आयोजनों में नजर आते हैं और कई तो इसमें भी नजर नहीं आते।
बचे देवेन्द्रसिंह यादव तो वे कुछ न कुछ करते रहते हैं। मार्च माह में उन्होंने हर सरकारी विभाग में घेरा डालो डेरा डालो अभियान चला रखा है। कल इस अभियान में नगर निगम पर प्रदर्शन करना था। अपने साथ कार्यकर्ताओं को लेकर यादव कल नगर निगम पर पहुंच गए और नारेबाजी शुरू कर दी, लेकिन इस दौरान न तो कांग्रेस के अध्यक्ष नजर आए और न ही कांग्रेस का पार्षद, जबकि कांग्रेस का पार्षद दल कुछ न कुछ मामलों को लेकर सत्तापक्ष को घेरने में लगा रहता है, लेकिन कार्यवाहक अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे को बुलाना तक उचित नहीं समझा और अपने साथ चंद कार्यकर्ताओं को लेकर आंदोलन की औपचारिकता पूरी कर ली। उन्हें न तो महापौर मिले और न ही निगम का कोई बड़ा अधिकारी। मन मसोसकर उन्हें अपर आयुक्त अमित कुमार चौरसिया को ज्ञापन देने की औपचारिकता पूरी की और लौट गए। यादव के साथ संजय शुक्ला, पप्पू यादव, मिथुन यादव, जगदीश जांबेकर, यशपाल गहलोत, अभिषेक करोसिया आदि मौजूद रहे।
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