
इंदौर। प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर में मुंबई-आगरा मार्ग पर राऊ से देवास को जोडऩे वाले मार्ग तक बायपास बनाया गया है। 9 साल से टोल वसूली हो रही है, लेकिन सरपट मार्ग के रखरखाव में टोल कंपनी शुरू से ही कोताही बरती रही है। पिछले 5 सालों से लगातार एनएचएआई कंपनी को नोटिस दे रही है, लेकिन कुछ खास असर नहीं हो रहा।
इंदौर-देवास बायपास को तकरीबन 6 साल पहले सिक्स लेन करने के लिए सहमति बनी थी। तब उसकी लागत 475 करोड़ रुपए रखी गई थी। काम के दौरान यह लागत दो से तीन बार बढ़ाई गई जो काम पूरा होते-होते तकरीबन 600 करोड़ रु. हो गई। इसके लिए 25 साल इंदौर-देवास टोलवेज कंपनी को टोल वसूलने के लिए अधिकृत किया गया। साथ ही यह भी कहा गया कि कंपनी को लगातार मेंटेनेंस भी करना है, लेकिन कंपनी टोल तो वसूलती रही और मेंटेनेंस के नाम पर खानापूर्ति की गई। एनएचएआई के अधिकारी कंपनी के इस रवैये से पिछले 5 सालों से परेशान हैं। लगातार समझाइश और नोटिस भी दिए गए, लेकिन टोल कंपनी पर इसका असर नहीं देखा गया। एक बार फिर एनएचएआई के अधिकारियों ने तकरीबन 300 करोड़ रुपए की वसूली कार्रवाई पर टर्मिनेशन के लिए कमर कस ली है। अब देखना है कि इस काम को अमलीजामा कैसे बनाया जाता है, क्योंकि टोल कंपनी को भी पूरा पैसा एनएचएआई को चुकाना होगा। यानी अगर यहां कॉल वसूली के लिए किसी और कंपनी को रखा जाए तो जितनी राशि बायपास बनाने में खर्च हुई है वह पुरानी टोल कंपनी को एनएचएआई कॉल उठाना जरूरी है।
यह पेच भी रहेगा शामिल
दरअसल जहां निजी कंपनी रोड का निर्माण करती है उसे एनएचएआई गारंटी देता है कि वह रोड की लागत वसूलने में हरसंभव मदद करेगा, जिसे टोल के रूप में वसूला जाएगा, लेकिन टोल कंपनी बाद में रोड के मेंटेनेंस में कोताही बरतती है। ज्यादातर टोल कंपनी इसलिए बच जाती है कि एनएचएआई को टोल वसूली के लिए फिर से नई कंपनी को टेंडर करना होता है, इसलिए उलझनबाजी से दूर रहकर निर्माणकर्ता कंपनी ही वसूली करती रहती है। नियमों के उलटफेर का फायदा घटिया कंपनी (या मेंटेनेंस नहीं करने वाली) उठाती रहती है।
ओवरब्रिज के बोगदे सबसे ज्यादा परेशानी
राऊ से देवास को जोडऩे वाले इस सिक्सलेन मार्ग में सबसे ज्यादा परेशानी इंदौर शहर से बायपास को क्रश करने वाले बोगदों, यानी ओवरब्रिज के नीचे एवं उनके मुहानों को लेकर बनी हुई है। जर्जर सड़क मार्ग से लोगों को गुजरना पड़ता है। धूल से सने लोग नेशनल हाईवे ओर टोल कंपनी को कोसते हुए यहां से गुजरते रहते हैं।
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