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बैठकों के दौरान ओला के संस्थापक खो देते हैं अपना आपा, कर्मचारियों ने लगाए ‘गंभीर’ आरोप

नई दिल्ली। ओला के कर्मचारियों ने कंपनी के संस्थापक और सीईओ भाविश अग्रवाल के काम के दौरान अभद्र और क्रूर व्यवहार करने का खुलासा किया है। इन कर्मचारियों ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया है कि भाविश अग्रवाल के व्यवहार से बड़े पैमाने पर कंपनी के कर्मचारी और बोर्ड सदस्य निराश हैं।

कंपनी के दो दर्जन वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों ने किया खुलासा
कंपनी के लगभग दो दर्जन वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर विभिन्न साक्षात्कारों के दौरान मीडिया को बताया है कि बीते कुछ वर्षों के दौरान ओला इलेक्ट्रिक के अंदर वर्क कल्चर द्वेषपूर्ण या शत्रुतापूर्ण हो गया है। कंपनी के वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों का दावा है कि बैठकों के दौरान प्रजेंटेशन पर महज पेज नंबर नहीं होने की वजह से वे उन्हें फाड़ देते हैं, कर्मचारियों को पंजाबी में विशेषणों का इस्तेमाल करते हुए बेकार तक कह देते हैं।

पेपर क्लिप और खराब प्रिंट क्वालिटी पर भी नाराज हो जाते हैं ओला सीईओ
कर्मचारियों ने यह भी खुलासा किया है कि कई बार यह देखा गया कि एक घंटे के के लिए तयशुदा मीटिंग महज दस मिनट में ही समाप्त हो गई क्योंकि अग्रवाल एक मेमो में सेंटेंस कंस्ट्रक्शन से नाराज होकर अपना आपा खो बैठे। इस दौरान उन्होने खराब पेपर क्लिप और कागज पर खराब प्रिंटिंग क्वालिटी पर भी नाराजगी जाहिर की। जब इस बारे में ओला सीईओ भाविश अग्रवाल से पूछताछ की गई तो उन्होंने कहा कि हर कोई हमारी कंपनी की संस्कृति के लिए उपयुक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्क कल्चर के लिए कोई वैश्विक मानक तय नहीं है।


एक कर्मचारी को कई एकड़ में फैले इलेक्ट्रिक टू व्हीलर प्लांट का तीन चक्कर लगाने की दी सजा
रिपोर्ट के अनुसार एक बार अग्रवाल ने एक कर्मचारी को कई एकड़ में फैले ओला फ्यूचर फैक्ट्री का तीन चक्कर लगाने के लिए महज इसलिए कह दिया क्योंकि फैक्ट्री का एक बंद किया गया गेट खुला रह गया था। इस फैक्ट्री की मार्केटिंग ओला दुनिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रिक टू व्हीलर प्लांट के रूप में करती है।

भाविश अग्रवाल ने मीडिया से एक बातचीत के दौरान कहा- ‘मेरा गुस्सा-मेरी हताशा- यही मैं हूं’
भाविश अग्रवाल ने ब्लूमबर्ग से बातचीत में कहा है कि वे ऐसी कंपनियों का निर्माण करना चाहते हैं जिसका स्थायी प्रभाव बना रहे। भले ही इसका मतलब कुछ लोग गलत तरीके से निकालते हों। अग्रवाल ने पिछले महीने ओला इलेक्ट्रिक के बेंगलुरू स्थित मुख्यालय में एक साक्षात्कार में कहा, “जुनून और भावनाएं बहुत अधिक हैं और हम एक आसान यात्रा पर नहीं हैं। मैं अपने लिए या ओला के लिए एक आसान यात्रा नहीं चुनना चाहता। मेरा गुस्सा, मेरी हताशा- यही मैं हूं।”

ओला के सामने बिगड़ते वर्क कल्चर के बीच कर्मचारियों को बनाए रखने की चुनौती
ओला के इस वर्क कल्चर के कारण सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों को काम पर बनाए रखने की है, विशेष रूप से शीर्ष प्रबंधन स्तर पर। रिपोर्ट में यह भी कहा गया गया है कि जिलिंगो के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी रमेश बाफना सहित कुछ अधिकारियों ने औपचारिक रूप से रोजगार की पेशकश स्वीकार करने के कुछ दिनों बाद ओला इलेक्ट्रिक से नहीं जुड़ने का फैसला किया।

कर्मचारियों का मानना है कि अग्रवाल की अथक गति और प्रबंधन शैली एक चिंताजनक मुद्दा हैे। बता दें कि 37 वर्षीय भाविश अग्रवाल एलन मस्क और चीनी समूह बीवाईडी कंपनी को टक्कर देने की महत्वाकांक्षा रखते हैं।

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