
नई दिल्ली । अमेरिका (America)के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump)के लिए नोबेल शांति पुरस्कार(Nobel Peace Prize) की मांग करने वाले पाकिस्तान(Pakistan) ने उनके 20 सूत्रीय गाजा शांति प्रस्ताव से किनारा कर लिया है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने अपने देश को औपचारिक रूप से इससे अलग करते हुए कहा है कि यह दस्तावेज हमारा नहीं है और इसमें हमारे मूल मसौदे में बदलाव किए गए हैं। डार का यह बयान संसद में आया, जिससे पाकिस्तान इस प्रस्ताव से आधिकारिक रूप से दूरी बनाने वाला पहला बड़ा देश बन गया है। आपको बता दें कि इस प्रस्ताव को हमास ने मंजूर कर लिया है।
डार ने कहा कि अमेरिका द्वारा घोषित यह शांति योजना उस मसौदे से अलग है जो मुस्लिम देशों ने संयुक्त रूप से तैयार किया था। उन्होंने कहा, “यह हमारा ड्राफ्ट नहीं है। इसमें जो संशोधन किए गए हैं, वे हमारी सहमति से नहीं हुए।”
सूत्रों के अनुसार, इस सख्त रुख के पीछे पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर की मंजूरी है। सेना नहीं चाहती कि इस योजना को किसी भी रूप में अमेरिकी या इजराइली हितों को मान्यता देने वाला समझा जाए।
जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान का यह कदम घरेलू राजनीतिक और धार्मिक दबाव को ध्यान में रखकर उठाया गया है। पाकिस्तान के भीतर मौजूद कट्टरपंथी और प्रोपैलेस्टाइन लॉबी किसी भी ऐसी योजना का विरोध कर रहे हैं जिसमें हमास के निरस्त्रीकरण या इजरायल की आंशिक मान्यता जैसी बातें शामिल हों।
एक रिपोर्ट में खुफिया सूत्रों के हवाले से कहा है कि यह बयान पाकिस्तान सरकार की फेस-सेविंग एक्सरसाइज का हिस्सा है ताकि जनता के बीच यह संदेश जाए कि इस्लामाबाद ने अमेरिकी दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया है।
इस रुख से पाकिस्तान यह भी संदेश देना चाहता है कि वह मुस्लिम देशों की एकजुटता से अलग नहीं हो रहा और न ही मुस्लिम मकसद को बेच रहा है। सूत्रों का कहना है कि हालांकि सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान इस प्रस्ताव को खारिज कर रहा है, परंतु पर्दे के पीछे वह अमेरिका और अरब के साथ कूटनीतिक संवाद जारी रखेगा।
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