
भोपाल। कोरेाना संक्रमण के बीच मप्र हाई कोर्ट ने राज्य की अधीनस्थ अदालतों में 14 दिसंबर 2020 से 9 जनवरी, 2021 तक सीमित भौतिक सुनवाई की व्यवस्था दे दी है। इस दौरान कोविड-19 गाइडलाइन का पालन अनिवार्य होगा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव के आदेश पर रजिस्ट्रार जनरल राजेंद्र कुमार वानी ने इस आशय का परिपत्र जारी किया। जिसमें स्पष्ट है कि यह व्यवस्था जिला अदालतों के साथ-साथ कुटुंब न्यायालयों में भी लागू होगी। इस अवधि में रिमांड, बेल, सुपुर्दगीनामा प्रकरणों के अलावा सिविल और क्रिमनल अपील व रिवीजन सुनी जाएंगी। विचाराधनी बंदियों के मामले भी वरीयता क्रम में सुनवाई के लिए रखे जाएंगे। पांच वर्ष से अधिक अवधि से लंबित सिविल व क्रिमनल मामले, मोटर दुर्घटना के क्षतिपूर्ति मामले, 125 0 128 सीआरपीसी के मामले भी सुने जाएंगे। किशोर न्याय बोर्ड संबंधी मामले भी इसी क्रम में सुने जाने की व्यवस्था दी गई है। इस फैसले के बाद एमपी स्टेट बार कौंसिल के सदस्य हाई कोर्ट बार, जबलपुर के सचिव मनीष तिवारी ने हाई कोर्ट में भौतिक सुनवाई की मांग को लेकर नए सिरे से प्रयास शुरू करने का निर्णय लिया है। इससे पहले जबलपुर जिला बार के पूर्व सचिव मनीष मिश्रा ने जिला अदालत खोले जाने पर बल दिया था। ऐसा न किए जाने पर आमरण अनशन शुरू करने की चेतावनी दी थी। इसके कुछ समय बाद ही हाई कोर्ट ने जिला अदालतों में प्रायोगिक भौतिक सुनवाई की व्यवस्था दे दी।
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