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रूस-यूक्रेन युद्ध पर PM मोदी ने दुनिया को दिया संदेश, खाद्यान्न का संकट हुआ तो नहीं संभाल पाओगे

बाली! प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) जी-20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) और इससे इतर वैश्विक नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकों में हिस्सा लेने के लिए बाली पहुंचे। जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन आज यानि मंगलवार को शुरू हुआ है। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक समेत दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के नेता शामिल हो रहे है।

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 देशों की मीटिंग को संबोधित करते हुए यूक्रेन युद्ध को समाप्त कर शांति का संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि मैं कई बार दोहरा चुका हूं कि हमें सीजफायर और डिप्लोमेसी के रास्ते पर बढ़ते हुए यूक्रेन युद्ध का हल निकालना होगा। पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पिछली शताब्दी में तबाही देखी थी। तब के नेताओं ने उस संकट से निकलने के लिए गंभीर प्रयास किए थे और शांति के रास्ते पर आए थे। अब हमारी बारी है। बाली में जी-20 को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के बाद अब नया वर्ल्ड ऑर्डर तैयार हो रहा है और इसकी जिम्मेदारी अब हमारे ऊपर है।

उन्होंने कहा कि वक्त की जरूरत है कि शांति, सद्भाव और सुरक्षा के लिए मजबूती से कदम बढ़ाए जाएं। पीएम मोदी ने कहा कि हमें भरोसा है कि अगले साल जब हम बुद्ध और महात्मा गांधी की धरती पर मिलेंगे तो दुनिया को शांति का संदेश देने में कामयाब होंगे।



प्रधानमंत्री ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया में खाद्यान्न का संकट पैदा हो रहा है और सप्लाई चेन भी कमजोर हुई है। उन्होंने कहा कि हमने देश में खाद्य सुरक्षा के लिए नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा पारंपरिक फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। मिलेट्स के जरिए यह संभव होगा और इससे दुनिया में कुपोषण एवं भूख से निपटा जा सकेगा।

पीएम ने कहा कि दुनिया में आज जो फर्टिलाइजर की कमी है। कल वह खाद्यान्न के संकट में तब्दील हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो फिर दुनिया के पास उसका कोई समाधान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमें एक समझौता करना होगा, जिससे फूड ग्रेन की सप्लाई चेन पर कोई विपरीत असर न पड़े। यही नहीं इस दौरान पीएम मोदी ने दुनिया को अक्षय ऊर्जा की ओर भी बढ़ने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि 2030 तक हमारी बिजली की आधी जरूरत रिन्यूएबल एनर्जी से होगी। उन्होंने कहा कि इससे खर्च भी कम होगा और हम स्थायी विकास की ओर बढ़ेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के विकास के लिए भारत की ऊर्जा सुरक्षा जरूरी है। यह दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था है। हमें ऊर्जा की सप्लाई पर किसी भी तरह के प्रतिबंधन नहीं लगाने चाहिए। एनर्जी मार्केट में स्थिरता को बढ़ावा देना होगा। भारत इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण में विकास को गति दी जाए।

दरअसल, सितंबर में उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में दोनों की मुलाकात नहीं हुई थी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि अच्छे संबंध बनाए रखना चीन और भारत और उनके लोगों के मौलिक हित में है।
विदित हो कि जी-20 वैश्विक आर्थिक सहयोग का एक प्रभावशाली संगठन है। यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। इंडोनेशिया जी-20 का वर्तमान अध्यक्ष है। भारत एक दिसंबर से औपचारिक रूप से जी-20 की अध्यक्षता संभालेगा।

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