
भोपाल। प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियां नए सिरे से प्रदेशभर में आउटसोर्सिंग के जरिए 25 हजार से ज्यादा भर्ती के लिए टेंडर जारी कर सकेंगी। कंपनियों ने आउटसोर्सिंग के लिए पूर्व में निकाले टेंडर को अंतिम समय में निरस्त कर दिया था। इसे चुनौती देते हुए मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर हुई थी। इसमें बहस सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था जो जारी कर दिया गया है। कोर्ट ने चुनौती देने वाली जनहित याचिका को निरस्त कर दिया है। यह जनहित याचिका इंदौर के पूर्व पार्षद महेश गर्ग ने एडवोकेट मितुल सक्सेना के माध्यम से दायर की थी। इसमें बिजली कंपनियों द्वारा आउटसोर्सिंग के लिए टेंडर जारी कर प्रक्रिया पूरी करने और बाद में निरस्त करने पर सवाल उठाया गया था। इसमें कहा था कि प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों ने मेंटेनेंस के कार्य के लिए आउटसोर्सिंग के टेंडर निकाले थे। इसकी लागत करीब 900 करोड़ रुपये आंकी गई थी। कंपनियों की घोषणा थी कि इसके जरिए 20 से 30 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी। टेंडर की प्रक्रिया पूरी करने के बाद कंपनियों ने निविदा भरने वालों को काम देने के बजाय टेंडर ही निरस्त कर दिया था। इसी निरस्ती को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर हुई थी। इसमें शासन और कंपनियों की भूमिका को संदिग्ध बताया गया था। कहा था कि एक तरफ तो बिजली कंपनियों का कहना है कि आउटसोर्सिंग के जरिए नियुक्तियां नहीं की गई तो कामकाज प्रभावित होगा। दूसरी तरफ खुद बिजली कंपनियां टेंडर अंतिम समय में निरस्त कर रही हैं। करीब एक पखवाड़े पहले जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला ने सभी पक्षकारों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाई कोर्ट की साइट के मुताबिक, सोमवार को कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। हालांकि विस्तृत फैसला देर शाम तक जारी नहीं हुआ था।
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