
इंदौर। वर्ष 2027 में प्रस्तावित जनगणना की तैयारी को लेकर प्रदेश में प्रक्रियाएं तेज हो गई हैं। देश में लंबे समय से लंबित चल रही जनगणना प्रक्रिया अब दोबारा गति पकडऩे लगी है। अब निदेशालय ने नई जनगणना के लिए आधिकारिक निर्देश जारी करने शुरू कर दिए हैं। पहले चरण में मास्टर ट्रेनर्स के चयन और प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हर जिले से चयनित नाम भेजे जा रहे हैं। इंदौर की आबादी को देखते हुए लगभग 4 ट्रेनेरके नाम भेजे जा रहे है। इनके प्रशिक्षण के बाद मकान गणना (हाउस लिस्टिंग) का चरण शुरू होगा। नई जनगणना 2027 में प्रस्तावित है, जिसमें जातिगत आधार पर डेटा संग्रह की संभावना भी देखी जा रही है।
देश में लंबे समय से लंबित चल रही जनगणना प्रक्रिया अब दोबारा गति पकडऩे लगी है। 10 साल में एक बार होने वाली राष्ट्रीय जनगणना वर्ष 2021 में कोरोना लॉकडाउन के कारण नहीं हो सकी थी, लेकिन अब केंद्र सरकार महा पंजीयक कार्यालय ने नई जनगणना के लिए आधिकारिक निर्देश जारी करने शुरू कर दिए हैं। पहले चरण में मास्टर ट्रेनर्स के चयन और प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हर जिले से चयनित नाम भेजे जा रहे हैं। इंदौर से 4 नाम भेजे जा रहे हैं, जिनका प्रशिक्षण लगभग 6 माह तक चलेगा। इसके बाद मकान गणना (हाउस लिस्टिंग) का चरण शुरू होगा। नई जनगणना अब 2027 में प्रस्तावित है, जिसमें जातिगत आधार पर डेटा संग्रह की संभावना भी देखी जा रही है। विभाग के निर्देश है कि 31 दिसंबर तक नगरीय सीमा क्षेत्रों में आवश्यक वृद्धि, कमी या सुधार कर अंतिम प्रस्ताव भेज दें। निर्धारित तिथि के बाद सीमाएं ब्लॉक हो जाएंगी, जिनमें किसी तरह का परिवर्तन संभव नहीं होगा।
जनगणना के फायदे
विकास योजनाओं को सडक़, पानी, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सरकारी योजनाओं को सही आंकड़ों के आधार पर बनाया जाता है, वहीं कौन से क्षेत्रों में जनसंख्या बढ़ रही है, किस इलाके से पलायन अधिक हो रहा है, इसका स्पष्ट डेटा मिलता है, जिससे केंद्र व राज्य सरकार जिले और शहरों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार बजट देती है, वहीं सरकार को नई नीतियों के निर्धारण में जैसे रोजगार, महिलाओं, युवाओं, वृद्धजन, किसानों और गरीब तबके के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। लंबे समय से लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाएं तय करने में जनसंख्या के आंकड़े अहम भूमिका निभाएंगे, वहीं शहरी-ग्रामीण विकास की वास्तविक स्थिति स्पष्ट होगी। दोनों क्षेत्रों में सुविधाओं और समस्याओं की तुलना कर प्लानिग की जा सकेगी, वहीं सरकार की योजनाओं का सही तबके तक पहुंचाने का लक्ष्य भी पूरा होगा।
ब्लॉकों में बांटा जाएगा
जिलों को निर्देश जारी किए हैं कि 31 दिसंबर तक सीमाओं के अंतिम रूप से तय होने के बाद संबंधित क्षेत्रों को विभिन्न ब्लॉकों में वर्गीकृत किया जाएगा। इन्हीं ब्लॉकों के आधार पर प्रगणकों और सुपरवाइजरों की नियुक्ति होगी। इसके उपरांत प्रशिक्षण की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से शुरू की जाएगी। उल्लेखनीय है कि इस बार जनगणना के कार्य में तकनीक का अधिक उपयोग किया जा रहा है। नियुक्त प्रगणकों को टेबलेट के माध्यम से ऑनलाइन डेटा संग्रह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। 2026 में ट्रेनिंग कराई जाएगी।
45 लाख तक पहुंची जनसंख्या
मास्टर ट्रेनर्स की नियुक्ति और प्रशिक्षण की प्लानिंग का कार्य पहले ही प्रारंभ हो चुका है। यह प्रशिक्षण लगभग छह माह तक चलेगा, जिसके पूरा होने के बाद मकान गणना (हाउस लिस्टिंग) का पहला चरण शुरू होगा। ज्ञात हो कि वर्ष 2011 की जनगणना में इंदौर जिले की कुल जनसंख्या 32 लाख 76,697 दर्ज की गई थी, जिसमें नगरीय क्षेत्र की 24 लाख 27,709 व ग्रामीण क्षेत्र की 8 लाख 48,988 थी। अब लगभग 45 लाख की जनसंख्या की गणना का अनुमान लगाया गया है, जिसके मान से कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ जाएगी।
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