
नई दिल्ली । रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) भारत (India) की दो दिवसीय यात्रा के तहत बृहस्पतिवार यानी आज नई दिल्ली पहुंचेंगे। भारत ने पुतिन के स्वागत के लिए निजी डिनर, राज्य भोज, उच्चस्तरीय द्विपक्षीय वार्ताएं और CEOs को संबोधन सहित कई कार्यक्रम तय किए हैं। इस बीच खबर है कि यूरोपीय देशों ने भारत से अपील की है कि वह रूस पर यूक्रेन युद्ध खत्म करने का दबाव बनाए। अमेरिका और यूरोप लगातार भारत पर रूसी तेल खरीद कम करने का दबाव बना रहे हैं, उनका तर्क है कि इससे पुतिन की “वॉर मशीन” को पैसा मिलता है। ऐसे में मोदी-पुतिन बातचीत पर वैश्विक निगाहें रहेंगी।
मोदी-पुतिन: लगातार संवाद और युद्ध पर स्पष्ट संदेश
साल 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से मोदी और पुतिन की 16 बार बातचीत हो चुकी है- 11 बार 2022 से 2024 के बीच और सिर्फ 2025 में ही पांच बार बात हुई। सितंबर 2022 में उज्बेकिस्तान के समरकंद में SCO सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार पुतिन से कहा था- आज का युग युद्ध का नहीं है। जुलाई 2024 में मॉस्को यात्रा के दौरान मोदी ने फिर कहा- समाधान युद्धभूमि पर नहीं मिलते।
सूत्रों के मुताबिक, इसी तरह का संदेश इस दौरे में भी पुतिन तक पहुंचाया जाएगा। लेकिन समाधान तभी संभव है जब यूक्रेन, रूस, यूरोप और अमेरिका चारों पक्ष एक साथ बातचीत की मेज पर आएं। भारत ने पहले भी शांति प्रयासों में भूमिका निभाई- जापोरिझिया परमाणु संयंत्र की सुरक्षा पर रूस से बातचीत की थी और रूस-यूक्रेन के बीच अनाज समझौते में ‘चुपचाप’ मदद भारत की भूमिका का हिस्सा थी।
यूरोप का निहित संदेश: मोदी की बात, पुतिन सुनते हैं
हाल ही में ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस के राजदूतों ने टाइम्स ऑफ इंडिया में एक संयुक्त लेख लिखकर रूस की आलोचना की है। पोलैंड के राज्य सचिव व्वादिस्वाव तेओफिल बार्तोशेव्स्की ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा कि- मैं उम्मीद करता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी पुतिन से कहेंगे कि वह शांति समझौते पर हस्ताक्षर करें। यह न आपके हित में है, न हमारे, न दुनिया के कि यह युद्ध चलता रहे… पुतिन, प्रधानमंत्री मोदी की बात ध्यान से सुनते हैं।
पुतिन की यात्रा से पहले फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन के राजदूतों का संयुक्त लेख असामान्य: भारतीय अधिकारी
भारत के विदेश मंत्रालय ने समाचार पत्र में फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के दूतों द्वारा संयुक्त रूप से लिखे गए लेख पर आपत्ति जताई। इस लेख में राजदूतों ने पुतिन की आलोचना की है और उन पर यूक्रेन में शांति प्रयासों को बाधित करने का आरोप लगाया है। अधिकारियों ने कहा कि यह असामान्य है और कूटनीतिक दृष्टि से स्वीकार्य चलन नहीं है।
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