लखनऊ (Lucknow)। मिशन 2024 (mission 2024) को लेकर सभी राजनीतिक दलों (Political parties) ने अपनी तैयारियां करना शुरू कर दिया है। सीटों के लिहाज से प्रमुख रूप से अहम माने जाने वाले उत्तप्रदेश में सभी की निगाह टिंकी हुई हैं, क्योंकि केंद्र में पहुंचने के लिए यही से रास्ते खुलते हैं। उत्तर प्रदेश के चुनाव में अमेठी और रायबरेली (Amethi and Rae Bareli) हमेशा से महत्वपूर्ण क्षेत्र रहे हैं। यहां से किस दल से कौन उम्मीदवार बनता है, इसको लेकर जनता में काफी उत्सुकता भी रहती है।
वैसे भी उत्तर प्रदेश में गांधी-नेहरू परिवार की मानी जाने वालीं रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीटों को लेकर कई तरह के कयास चल रहे हैं। सोनिया गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी या नहीं? अमेठी पर राहुल क्या फैसला लेंगे? पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारियों की मानें तो ये दोनों सीटें गांधी परिवार अपने पास ही रखेगा।
सोनिया गांधी के न लड़ने पर रायबरेली से प्रियंका भाग्य आजमाएंगी। राहुल गांधी का अमेठी से उतरना भी करीब-करीब तय माना जा रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल की हार और कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन में सोनिया गांधी के बयान से इन सीटों को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। हाल ही में हुए रायपुर अधिवेशन में सोनिया ने कहा था-भारत जोड़ो यात्रा मेरी राजनीतिक पारी का अंतिम पड़ाव हो सकती है। लोकसभा के 1977, 1996 व 1998 के चुनावों को छोड़ दें तो शेष सभी चुनावों में रायबरेली से कांग्रेस ही जीती है।
पार्टी सूत्र बताते हैं कि सोनिया गांधी के चुनाव न लड़ने की स्थिति में प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं। प्रियंका का संसदीय राजनीति में आने का यह पहला प्रयास होगा। हालांकि, अभी तक सोनिया की ओर से चुनाव न लड़ने की बात स्पष्ट तौर पर नहीं कही गई है।
वैसे भी प्रियंका गांधी जब सक्रिय राजनीति में नहीं थीं, तब भी रायबरेली और अमेठी में सक्रिय रहती थीं। इससे इन दोनों ही सीटों पर आम मतदाताओं से उनके जुड़ाव से कोई इनकार नहीं कर सकता। प्रियंका गांधी के लिए संसदीय राजनीति में प्रवेश करने के लिए शायद ही कोई दूसरी सीट इतनी सुरक्षित हो, जितनी कि रायबरेली।
1967 में वजूद में आने वाली अमेठी सीट भी संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी की रणभूमि रही है। यहां सिर्फ दो बार 1998 और 2019 में भाजपा जीती, जबकि 1977 में जनता पार्टी। शेष चुनावों में कांग्रेस ही आगे रही। राहुल गांधी ने 2004 से 2014 तक लगातार तीन चुनाव यहां से जीते। सोनिया गांधी 2004 में यहां से शिफ्ट होकर रायबरेली चली गईं और उसी वर्ष राहुल गांधी ने अमेठी से चुनाव जीतकर संसदीय राजनीति में प्रवेश किया।
1999 में अपना पहला चुनाव सोनिया गांधी ने अमेठी से ही जीता था। वर्ष 2019 में राहुल गांधी ने अमेठी के साथ-साथ वायनाड से चुनाव लड़ा था और अमेठी में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस बार भी राहुल गांधी इन दोनों ही सीटों से चुनाव लड़ेंगे। राहुल गांधी की टीम लगातार अमेठी में आम लोगों से संपर्क बनाए हुए है। कांग्रेस के आंतरिक संगठन में राहुल अमेठी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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