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स्टेट बैंक की महिलाकर्मियों को लेकर प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा केंद्रीय वित्तमंत्री को पत्र


नई दिल्ली । शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी (Priyanka Chaturvedi) ने शनिवार को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की महिलाकर्मियों (Women Employees) सम्बंधी दिशानिर्देशों पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री (Union Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) और एसबीआई के चेयरमैन (SBI Chairman) को एक पत्र लिखा (Wrote a Letter) है।


शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी के अनुसार एसबीआई ने अपने संशोधित दिशानिर्देशों में कहा है कि जो महिला उम्मीदवार 3 महीने की गर्भवती हैं उन्हें अस्थायी रूप से अयोग्य माना जाएगा और बच्चे के जन्म के 4 महीने बाद ही उन्हें शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। यह प्रकृति में भेदभावपूर्ण है। प्रियंका ने शनिवार को कहा, मैं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और एसबीआई से इसे तुरंत रद्द करने का आग्रह करती हूं।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे अपने पत्र में प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि हाल ही में, भारतीय स्टेट बैंक ने भर्ती और पदोन्नति के लिए अपने संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह संशोधित दिशानिर्देश प्रकृति में अत्यंत भेदभावपूर्ण हैं और हमारे देश की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हुई प्रगति को कमजोर करते हैं।

उन्होंने कहा कि वर्तमान दिशानिर्देश, जो गर्भावस्था के छह महीने तक उम्मीदवारों की नियुक्ति की अनुमति देता है, बशर्ते उम्मीदवार विशेषज्ञ स्त्री रोग विशेषज्ञ से एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करती है जोकि साल 2009 में लाया गया था और नया प्रस्तावित दिशानिर्देश महिलाओं के लिए भर्ती और पदोन्नति की प्रक्रिया में भी देरी भरा है। यह ऐसे समय में आया है जब भारत की महिला कार्यबल की स्थिति खराब हुई है।

विश्व बैंक के अनुमानों के अनुसार, 2019 में महिला श्रम भागीदारी घटकर 20.79 रह गई है। देश 2021 के जेंडर गैप इंडेक्स में भी 28 स्थान गिर गया है और 156 देशों में से 140 वें स्थान पर था, विशेष रूप से इसकी महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और राजनीतिक स्तर के आधार पर। सशक्तिकरण इस तरह के प्रतिगामी दिशानिर्देश महिलाओं के बहिष्कार और उनके सामने आने वाली असमानता को बढ़ा देंगे।

प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, हमारे देश की महिलाएं समान अधिकारों के लिए लंबे समय से लड़ रही हैं, यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस लड़ाई को आगे बढ़ाएं न कि इसे रोके। इसलिए, मैं आपसे भारतीय स्टेट बैंक के संबंधित अधिकारी को इन भेदभावपूर्ण दिशानिर्देशों को वापस लेने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का आग्रह करती हूं कि भविष्य में भी ऐसी हानिकारक नीतियों को आगे नहीं लाया जाए।

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