
नई दिल्ली । भारतीय रेलवे कर्मचारियों के संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (एनएफआईआर) (National Federation of Indian Railwaymen-NFIR) ने केंद्र सरकार से रेलकर्मियों की लंबित मांगों पर गंभीरता से विचार करने की चेतावनी देते हुए कहा कि बोनस की मांग पूरी नहीं होने पर देशव्यापी हड़ताल (Strike) की जाएगी।
एनएफआईआर (NFIR) के महामंत्री डॉ. एम रघुवईया (General Secretary Dr. M. Raghuvaiya) ने कहा कि कोरोना संकट के बीच 13 लाख रेल कर्मचारी अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर दिन-रात मेहनत कर भारतीय रेल को चला रहे हैं लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार रेल कर्मचारियों की लंबित मांगों को पूरा नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि देशभर में रेल कर्मचारियों का करीब 2 हजार करोड़ रुपये बोनस लंबित है, जिसका भुगतान सरकार की ओर से रेल कर्मचारियों को अभी तक नहीं किया गया है। यहां तक की कोरोना काल में रेलवे ऑपरेशन को सुचारू रखने के लिए रेल कर्मी काम कर रहे हैं, जिससे कोरोना (Coronavirus) संक्रमण के चलते अभी तक करीब 300 रेल कर्मचारी मर चुके हैं. इन रेलवे कर्मियों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।
रघुवईया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में कहा था कि भारतीय रेलवे नवरत्न है लेकिन आज इसी नवरत्न के निजीकरण का काम चल रहा है। रेलवे परिचालन को प्राइवेट हाथों में दिया जा रहा है। एनएफआईआर इसे बिल्कुल स्वीकार नहीं करेगा।
एनएफआईआर (NFIR) के प्रवक्ता एसएन मलिक ने कहा कि बोनस रेलवे कर्मचारियों का हक है, जिसे वह उत्पादन के आधार पर लेते हैं। 2019-20 तक का लंबित बोनस (Bonus) रेलकर्मियों को मिलना चाहिए। वर्ष 1977 से यह लाखों रेलवे कर्मचारियों को अनवरत मिलता रहा है। इसके अलावा पेंशनर्स (Pensioners) के महंभाई भत्ते (Inflation allowance) की किश्त रोकी गई हैं, वह भी पूर्व रेलकर्मियों के साथ अन्याय है। सरकार कोरोना संकट के नाम पर इसे नहीं रोक सकती।
मलिक ने कहा कि अगर भारत सरकार की यही नीति रही तो एनएफआईआर तमाम रेल कर्मचारियों के साथ खड़ी है और मांगें पूरी न होने पर देशभर में रेल का चक्का रोक दिया जाएगा।
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