
नई दिल्ली। रेलवे (railway) की तमाम सतर्कता, निगरानी और कार्रवाई के बाद भी दलाल कन्फर्म ट्रेन टिकट झटक रहे हैं। रेलवे के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि आईआरसीटीसी की वेबसाइट में दलालों की सेंधमारी जारी है। रेलवे ने पिछले सात सालों में रिकॉर्ड 37 लाख से अधिक निजी यूजर आईडी रद्द किए हैं। यानी दलाल, सब-एजेंट एवं छोटे व्यापारी आईआरसीटीसी (IRCTC) में व्यक्तिगत यूजर आईडी बनाकर कन्फर्म टिकटों की कालाबाजारी कर रहे हैं।
भाजपा नेता राधा मोहन सिंह (BJP leader Radha Mohan Singh) की अध्यक्षता वाली रेल संबंधी स्थायी समिति ने गत चार अगस्त 2022 को संसद में पेश रिपोर्ट में उपरोक्त बात का खुलासा हुआ है। विभाग ने अपने जवाब में कहा कि क्रिस व आरपीएफ और आईआरसीटीसी के आईटी एंटी फ्रॉड सेल (आईटीएएफ) उपयोगकर्ता की शिकायतों व जांच के आधार पर निजी यूजर आईडी का रद करते हैं। इसमें दिन प्रतिदिन ई-टिकट की बुकिंग की निगरानी करना, हर महीने तय संख्या की सभी टिकटें बुक करना और वेबसाइटक पर लगातार हिट करने आदि गतिविधियों पर सेल नजर रखती है। इसके पश्चात निजी यूजर आईडी को रद किया जाता है।
आईआरसीटसी की वेबसाइट (Website) पर आम जनता के लिए प्रतिदिन सुबह 8 बजे एडवांस रिवर्जेशन टिकट बुकिंग (एसी श्रेणी), 10 बजे तत्काल टिकट बुकिंग व 11 बजे स्लीपर के लिए एडवांस रिजर्वेशन शुरू होता है। इस दौरान आईआरसीटसी के लाखों सब-एजेंट वेबसाइट पर किसी भी प्रकार का टिकट बुकिंग करने पर प्रतिबंध है। लेकिन प्रतिबंध के बावजूद एजेंट आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर अवैध तरीके से सेंधमारी कर रहे हैं। इस कारण कनफर्म टिकट चंद पलों में बुक हो जाते हैं और अधिकांश रेल यात्रियों के हाथ वेटिंग टिकट लगता है। इस धंधे में सब-एजेंट के अलावा दलाल व छोटे व्यापारी भी संलिप्त हैं। टिकटों की कालाबाजारी में लगे सब एजेंट आधुनिक सॉफ्टवेयर का प्रयोग करते हैं। यह गूगल व मार्केट में आसानी से उपलब्ध है। इसमें यात्री का नाम, पता, उम्र, मोबाइल नंबर आदि पहले से दर्ज कर दिया जाता है।
सॉफ्टवेयर से प्रतिबंध (software restriction) के बाद भी वेबसाइट में सेंध लगाना आसान है और एक बार क्लिक करने के बाद सॉफ्टवेयर आईआरसीटीसी सर्वर में हिट करता रहता है जब तक ट्रांजेक्शन पूरा नहीं हो जाता है। वहीं, आम यात्री सामान्य कंप्यूटर सिस्टम से कनफर्म टिकट लेने का प्रयास करता है, लेकिन वह सफल नहीं हो पाता है।
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