
वाशिंगटन । एक हालिया अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि अमेरिकी विदेशी सहायता (US foreign aid) में कटौती से भारत जैसे उच्च तपेदिक (टीबी) बोझ वाले देशों में अगले पांच वर्षों में 22 लाख अतिरिक्त मौतें हो सकती हैं। अमेरिका ने 2024 में टीबी कार्यक्रमों (TB programs) के लिए विदेशी फंडिंग का 55 प्रतिशत से अधिक योगदान दिया था। अमेरिका स्थित अवेनिर हेल्थ और संयुक्त राष्ट्र की इकाई ‘स्टॉप टीबी पार्टनरशिप’ के शोधकर्ताओं ने ये जानकारी दी।
मार्च में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के सभी कार्यक्रमों में 83 प्रतिशत की भारी कटौती की घोषणा की थी। USAID मानवीय और विकास सहायता के लिए दुनिया की सबसे बड़ी फंडिंग एजेंसी है। शोधकर्ताओं की एक टीम ने 26 उच्च टीबी बोझ वाले देशों पर USAID की कटौती के प्रभाव का आकलन किया, जिनमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ्रीका के कई देश शामिल हैं, जो टीबी कार्यक्रमों के लिए इस फंडिंग पर निर्भर हैं।
सबसे खराब स्थिति में भारी नुकसान
जर्नल PLOS ग्लोबल पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, सबसे खराब स्थिति में यानी जहां टीबी कार्यक्रम लंबे समय तक प्रभावित रहते हैं वहां 2025 से 2030 के बीच इन 26 देशों में 107 लाख अतिरिक्त टीबी मामले और 22 लाख मौतें हो सकती हैं। अध्ययन के मुताबिक, भारत अपने राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रमों के लिए USAID फंडिंग पर 15 प्रतिशत निर्भर है। उन्होंने लिखा, “अमेरिकी फंडिंग की कमी से वैश्विक टीबी नियंत्रण प्रयासों को खतरा है, जिससे टीबी उन्मूलन और सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति जोखिम में पड़ सकती है, और संभावित रूप से लाखों लोगों की जान खतरे में आ सकती है।”
अल्पकालिक व्यवधान भी खतरनाक
अध्ययन में कहा गया है कि अल्पकालिक व्यवधान भी कमजोर आबादी पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। यदि टीबी कार्यक्रमों को तीन महीने के भीतर वैकल्पिक फंडिंग मिल जाती है, तो भी अगले पांच वर्षों में 6.3 लाख अतिरिक्त मामले और लगभग एक लाख मौतें हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को हर साल देशों द्वारा उपलब्ध कराए गए सार्वजनिक व्यय डेटा के आधार पर किसी देश के टीबी कार्यक्रमों के लिए अमेरिकी सरकार की फंडिंग पर निर्भरता की गणना की जाती है।
सतत विकास लक्ष्यों पर प्रभाव
2015 में, संयुक्त राष्ट्र ने ‘2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ को अपनाया था, जिसमें दुनिया को एक टिकाऊ और लचीले रास्ते पर ले जाने के लिए लक्ष्यों और कदमों की रूपरेखा तैयार की गई थी। इन लक्ष्यों में गरीबी उन्मूलन और जलवायु परिवर्तन से निपटने जैसे उद्देश्य शामिल हैं। लेखकों ने चेतावनी दी है कि टीबी की रोकथाम और उपचार के वास्ते महत्वपूर्ण प्रयासों को बनाए रखने के लिए तत्काल वैकल्पिक फंडिंग की आवश्यकता है। यदि यह कटौती लंबे समय तक जारी रही, तो वैश्विक टीबी नियंत्रण के प्रयासों को गंभीर झटका लग सकता है, जिससे लाखों लोगों का जीवन खतरे में पड़ सकता है।
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