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ग्रामीण हो या शहरी, भारत में हर कोई ले रहा जमकर फैट…सर्वे में खुलासा

July 03, 2025

डेस्क: देशभर में एक तरफ जहां पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मोटापे (Obesity) को खत्म करने के खिलाफ अभियान चलाया था. वहीं दूसरी तरफ अब एक रिपोर्ट में चौकाने वाला खुलासा हुआ है. ताजा घरेलू उपभोग खर्च सर्वेक्षण (Household Consumption Expenditure Survey) में यह खुलासा कि देश के चाहे शहरी इलाके (Urban Areas) हो या फिर ग्रामीण इलाके हर जगह जमकर फैट (Fat) लिया जा रहा है. यही कारण है कि देश में लोग मोटापे का शिकार हो रहे हैं.

रिपोर्ट में सामने आया कि भारत में प्रोटीन वाले खाने की खपत तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इनमे से सबसे ज्यादा लोग फैट वाला खाना ले रहे हैं. बुधवार को जारी की गई घरेलू उपभोग खर्च सर्वेक्षण की रिपोर्ट में पता चला कि अनाज आज भी पांच प्रमुख खाद्य समूहों में प्रोटीन का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है.

देशभर में पिछले कुछ सालों में फैट का यूज काफी तेजी से बढ़ रहा है. हर कोई चाहते ग्रामीण हो या शहरी इसका इस्तेमाल कर रहा है. साल 2022 में जो ग्रामीण क्षेत्रों प्रतिदिन 59 ग्राम फैट का इस्तेमाल किया जाता था, जो साल 2024 में बढ़कर 65 ग्राम हो गया है. वहीं अगर शहरी क्षेत्र की बात की जाए तो यहां 3 सालां में 7 ग्राम की वृद्धि देखने को मिली है. 2022 में यहां 70.5 ग्राम था जो 2024 में बढ़कर 77.0 हो गया है.

प्रोटीन की बात की जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में लोग 2022 तक हर रोज लगभग 62 ग्राम प्रोटीन लेते थे. जो अब बढ़कर 66 ग्राम से ज्यादा हो गया है. शहरी क्षेत्रों में लगभग 7 ग्राम का उछाल आया है. 2022 में 63.2 था तो वहीं 2023-24 में 69.9 ग्राम हो गया है. कैलोरी लेने भी भारतीय पीछे नहीं हैं. 2022-23 तक ग्रामीण क्षेत्रों हर रोज भारतीय 2233 Kcal लेते थे जिसकी डिमांड 2023-24 में बढकर 2472 Kcal हो गया है. ये आंकडे लगभग हर रोज बढ़ रहे हैं.


केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की तरफ से जारी आंकड़ों से पता चला है कि 2009-10 के बाद से ही ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में प्रोटीन का सेवन बढ़ा है. हालांकि, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र और यूपी में औसत प्रोटीन सेवन में मामूली गिरावट देखी गई. शहरी क्षेत्रों में, प्रोटीन का डेली यूज प्रति व्यक्ति सेवन 2009-10 में 58.8 ग्राम से बढ़कर 2023-24 में 63.4 ग्राम प्रति दिन हो गया, जो 8% की वृद्धि है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह धीमी गति से बढ़ रहा है.

देश भर में हर कोई प्रोटीन के लिए सबसे आसान तरीका अंडा, मांस और मछली को ही मानता चला आ रहा है. यही कारण है कि शहरी क्षेत्रों में दालों की खपत कम हो गई है. तो वहीं अंडा, मांस और मछली की खपत में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई है. 2022-23 और 2023-24 के घरेलू उपभोग सर्वेक्षण के आधार पर सांख्यिकी मंत्रालय की तरफ से जारी पोषण सेवन रिपोर्ट के अनुसार, पेट के सेवन के मामले में, हर प्रमुख राज्य में वृद्धि देखने को मिल रही है.

अखिल भारतीय स्तर पर, ग्रामीण आबादी के लिए 2009-10 में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 43.1 ग्राम से बढ़कर 2023-24 में 60.4 ग्राम और शहरी आबादी के लिए 53.0 ग्राम से बढ़कर 69.8 ग्राम हो गई है. दोनों क्षेत्रों में 15 ग्राम से ज़्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है.

घरेलू उपभोग सर्वेक्षण की रिपोर्ट से पता चला है कि अनाज आज भी लोगों के प्रोटीन का सबसे बड़ा स्रोत है. ग्रामीण क्षेत्रों में प्रोटीन के हिस्से में अनाज का हिस्सा 46-47% है, जिसमें दालें, दूध और दूध से बने उत्पाद, अंडे, मांस और मछली और अन्य खाद्य श्रेणी शामिल हैं. शहरी क्षेत्रों में, यह 2022-23 और 2023-24 के लिए लगभग 39% था.

रिपोर्ट से पता चला है कि 2009-10 से ग्रामीण भारत में प्रोटीन सेवन में अनाज का योगदान लगभग 14% और शहरी भारत में लगभग 12% कम हो गया है. अनाज के यूज में गिरावट इसलिए दर्ज हुई हैं कि लोगों अंडे, मछली और मांस, अन्य खाद्य और दूध और दूध उत्पादों का यूज बढ़ाया है.

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