
सालों से विवादित रही 585/1 एमजी रोड की जमीन… सरकारी होने की भी जांच जारी
इन्दौर। बीते कई सालों से पलासिया चौराहा व 56 दुकान के पास स्थित 585/1 एमजी रोड की सम्पत्ति विवादों में रही है। दो बार इसका पूर्व में भी अभिन्यास मंजूर होकर स्थगित हुआ और अभी नगर तथा ग्राम निवेश ने फिर मंजूर किए गए अभिन्यास को स्थगित कर दिया है। कंचन तिलक के एमओएस और पार्किंग की लगभग 29 हजार स्क्वेयर फीट जमीन पर सालों से अभिन्यास मंजूर करवाने और व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स मंजूर करवाने के प्रयास चलते रहे हैं। पिछले दिनों मंजूर अभिन्यास की शिकायत के बाद फिर उसे स्थगित करने का निर्णय लेना पड़ा। इसमें सरकारी जमीन की जांच प्रशासन द्वारा की जा रही है।
संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश एसके मुद्गल ने मंजूर अभिन्यास को स्थगित करने की पुष्टि करते हुए बताया कि भूखंड क्र. 585/1, एमजी रोड, जिसका पुराना नम्बर 24 तुकोगंज मैन रोड था। इस पर 2757.46 वर्गमीटर यानी लगभग 29 हजार स्क्वेयर फीट पर वाणिज्यिक, रिटेल शॉप और प्रोफेशनल ऑफिसेस उपयोग के लिए 19.12.2019 को अभिन्यास मंजूर किया गया था। बाद में शिकायत भी मिली और राजस्व रिकॉर्ड में उक्त भूखंड, जिसका सर्वे नम्बर 69 और 70 है, वह सरकारी भूमि के रूप में दर्ज होना बताया गया। इस संबंध में राजस्व अनुविभागीय अधिकारी से प्रतिवेदन भी चाहा गया। इस पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व जूनी इंदौर ने 20.08.2020 के पत्र के जरिए बताया कि ग्राम पलासियाहाना के सर्वे नम्बर 69 और 70 की भूमि 1925-26 के मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड में आबादी शासकीय के रूप में दर्ज रही है। लिहाजा इसकी विस्तृत जांच करना पड़ेगी। नतीजतन नगर तथा ग्राम निवेश ने प्रशासन के साथ-साथ नगर निगम से स्पष्ट जानकारी प्राप्त होने तक पूर्व में दी गई स्थल अनुमोदन की अनुमति को फिलहाल स्थगित कर दिया है। उल्लेखनीय है कि होटल कंचन तिलक एक हिस्से में बना है और उसी के एमओएस व पार्किंग की यह जमीन है और इस संबंध में 2000 में नगरीय प्रशासन और विकास विभाग भी चार पेज का एक विस्तृत आदेश भी पारित कर चुका है। अभी उक्त अभिन्यास मोहनलाल पिता ताराचंद चुघ पार्टनर चुघ हाउसिंग एंड डवलपर्स, नीतेश पिता मोहन चुघ, श्रीमती संगीता पति महेन्द्र दवानी और मधुर पिता महेन्द्र दवानी के नाम से मंजूर करवाया गया था। सालों से यह भूखंड विवादित रहा है और एमओएस तथा पार्किंग की जमीन बताई जाती रही है, जिसके कारण हर बार नक्शा दबाव-प्रभाव में मंजूर होकर फिर स्थगित होते रहे हैं।
पहले भी दो दिन बाद ही करना पड़ा था अभिन्यास निरस्त
इस भूखंड पर पूर्व में भी दो बार नगर तथा ग्राम निवेश अभिन्यास को मंजूर कर निरस्त कर चुका है। अभी जो अभिन्यास स्थगित किया गया वह भी लगभग 8-9 महीने पहले ही 19.12.2019 को मंजूर किया गया था। इसी तरह लगभग 15 साल पहले भी तत्कालीन संयुक्त संचालक ने 23 फरवरी 2005 को अभिन्यास मंजूर किया और जब हल्ला मचा तो दो दिन बाद ही 25 फरवरी को उसे स्थगित कर धारा 32 में शासन को भिजवा दिया और फिर शासन स्तर पर भी इसकी जांच-पड़ताल चलती रही।
तत्कालीन कलेक्टर ने विस्फोट से उड़वाई थी बिल्डिंग
मजे की बात यह है कि इसी भूखंड पर बनी बिल्डिंग को तत्कालीन कलेक्टर मनोज श्रीवास्तव ने खुद खड़े रहकर विस्फोट लगाकर उड़वाया था। इस दौरान राज टावर सहित कई बड़े-बड़े निर्माणों को तत्कालीन कलेक्टर ने जमींदोज करवाया और उसी वक्त इस अवैध निर्माण की शिकायत मिली, तो इसे भी मई 2001 में तुड़वाया गया और इतना ही नहीं सरकारी जमीन और पीछे मस्जिद की वक्फ की जमीनों की भी जांच शुरू करवाई और आसपास के अतिक्रमणों को भी हटाया गया था। इसके चलते ही पलासिया चौराहा का एक तरफ का हिस्सा चौड़ा और व्यवस्थित भी हुआ। अब उसी विवादित जमीन पर बार-बार अभिन्यास मंजूरी के प्रयास किए जाते रहे हैं, जिसके कारण गत वर्ष मंजूर अभिन्यास की फिर शिकायत हुई और फिर उसे स्थगित करना पड़ा और नगर तथा ग्राम निवेश ने सरकारी जमीन के संबंध में प्रशासन से भी स्पष्ट जांच प्रतिवेदन मांगा है। तब तक अभिन्यास को स्थगित किया गया।
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