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व्हाइट हाउस में सऊदी क्राउन प्रिंस से खशोगी की हत्या पर हुए सवाल, बचाव में बोले ट्रंप- उन्हें कुछ नहीं पता

November 19, 2025

वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने सात साल बाद व्हाइट हाउस (White House) पहुंचे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Crown Prince Mohammed bin Salman) का गर्मजोशी से स्वागत किया। 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी (Jamal Khashoggi) की हत्या के बाद यह उनकी पहली आधिकारिक यात्रा है। ऐसे में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या पर उठे सवाल एक बार फिर चर्चा में आ गए। अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों में क्राउन प्रिंस की भूमिका का संकेत मिलने के बावजूद ट्रंप ने उसे सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि जो हुआ, एक गलती थी।

इसके साथ ही ट्रंप ने आगे प्रिंस का बचाव करते हुए कहा कि चाहे आप उन्हें पसंद करें या न करें, घटनाएं हो गईं, लेकिन क्राउन प्रिंस को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। बस इसे यहीं छोड़ दें। हमारे मेहमान को शर्मिंदा करने वाले सवाल पूछने की जरूरत नहीं है।

अमेरिका-सऊदी के बीच अरबों डॉलर की साझेदारी
इस बीच दोनों देशों ने अरबों डॉलर के निवेश, रक्षा सौदों और मध्य पूर्व में नई रणनीतिक साझेदारी को लेकर बड़े एलान किए। दूसरी तरफ खशोगी को लेकर उठे सवाल पर प्रिंस मोहम्मद ने भी कहा कि सऊदी अरब ने खशोगी की मौत की जांच के लिए सभी सही कदम उठाए और इसे दर्दनाक और बड़ी गलती बताया।

क्या है जमाल खशोगी हत्या मामला, समझिए
बता दें कि सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी 2018 में तुर्किय के इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में गए और वहीं उनकी हत्या कर दी गई। खशोगी सऊदी शासन के कड़े आलोचक थे और वॉशिंगटन पोस्ट में लिखते थे। तुर्किय और अमेरिकी जांच में सामने आया कि सऊदी एजेंटों की एक टीम ने दूतावास के अंदर ही उनकी हत्या कर शव को ठिकाने लगा दिया।

मामले में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने बाद में अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह ऑपरेशन क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की मंजूरी से हुआ होगा। सऊदी अरब ने आरोपों से इनकार किया, लेकिन दुनिया भर में इस घटना को लेकर भारी विवाद और निंदा हुई।

बैठक में क्राउन प्रिंस ने घोषणा की कि सऊदी अरब अमेरिका में अपना निवेश बढ़ाकर एक ट्रिलियन डॉलर कर देगा। ट्रंप ने भी घोषणा की कि अमेरिका सऊदी अरब को F-35 लड़ाकू विमान बेचेगा, जबकि कुछ अधिकारियों को चिंता है कि इससे चीन को तकनीक तक पहुंच मिल सकती है। साथ ही दोनों देशों ने एक बड़े निवेश सम्मेलन की भी योजना बनाई है, जिसमें सेल्सफोर्स, फाइजर, क्वालकॉम और अरामको जैसी कंपनियों के प्रमुख शामिल होंगे।

इस्राइल–सऊदी रिश्तों पर जोर
बता दें कि ट्रंप सऊदी अरब को अब्राहम समझौते में शामिल करना चाहते हैं, लेकिन सऊदी अरब का कहना है कि पहले फलस्तीन के लिए दो-राष्ट्र समाधान का स्पष्ट रास्ता चाहिए। हालांकि इस्राइल इस मांग का विरोध करता है। मामले में प्रिंस ने कहा कि हम समझौते का हिस्सा बनना चाहते हैं, लेकिन दो-राष्ट्र समाधान का स्पष्ट मार्ग जरूरी है। साथ ही सऊदी अरब अमेरिकी सैन्य सुरक्षा को लेकर औपचारिक लिखित आश्वासन चाहता है। दोनों देश AI निवेश, नागरिक परमाणु ऊर्जा और नई तकनीकी साझेदारी पर भी काम कर रहे हैं।

मानवाधिकार समूहों की आलोचना
इसके साथ ही 11 मानवाधिकार संगठनों ने ट्रंप प्रशासन से अपील की कि वह सऊदी अरब पर मानवाधिकार सुधारों का दबाव बनाए। उनका कहना है कि सऊदी सरकार आलोचकों, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेती है और फांसियों की संख्या बढ़ी है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि परिवर्तन की मांग की जानी चाहिए, केवल फोटो खिंचवाना काफी नहीं।

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